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cbse बोर्ड या किसी और बोर्ड में छात्रों को अधिक से अधिक नंबर क्यों मिलता है। कभी-कभी तो 100% नंबर भी मिलता है ऐसा कैसे हो गया? 90 के दशक में हाई स्कूल इंटर में तो इतना अंक सपने में भी नहीं सोचा जा सकता था। तब मूल्यांकन पद्धति बहुत ही सख्त होती थी और 60 परसेंट भी नंबर ले आना बड़ा मुश्किल होता था।
लेकिन अब सीबीएसई और तमाम बोर्ड में आसानी से 100% नंबर हर विषय में लाया जा सकता है। टॉपर भी इस बार सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में 100% नंबर लाकर हाई स्कूल व इंटर की परीक्षा को पास किए है। दोस्तों ऐसा क्यों हो रहा है- इसका जवाब हम आपको बताने जा रहे हैं-
असल में पहले के मुकाबले अब शिक्षा नीति में बहुत बदलाव हो गया है।
किसी भी विषय के सिलेबस को पहले से कम किया गया है।
कम सिलेबस और परीक्षा पैटर्न आदि पहले से क्लियर होता है। इसलिए जब परीक्षा पैटर्न के अनुसार कोई पढ़ाई करता है तो उसे पढ़ना आसान हो जाता है।
दूसरी बात एनसीआरटी की निर्धारित बुक के विषय-वस्तु (content) से ही प्रश्न पूछे जाते हैं इसलिए एनसीईआरटी पाठ्यक्रम की बुक से पढ़ना अच्छे अंक लाने के लिए जरूरी है।
इसके अलावा पेपर को कई तरह के प्रश्नों में बांटा जाता है जिससे कि छात्र के बोलने- लिखने- समझने आदि की क्षमता का विकास से हो सके।
माडल प्रश्नों की तैयारी भी परीक्षा पूर्व शिक्षकों द्वारा बेहतरीन तरीके से कराई जाती है।
cbse बोर्ड हर साल सैंपल पेपर भी निकालता है जिससे की बोर्ड परीक्षा में तैयारी करने वाले छात्रों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े।
कॉपी चेक करने की गाइडलाइन को अच्छे से परीक्षकों द्वारा फॉलो किया जाता है।
प्रश्न का अधूरा उत्तर भी दिया हो तो भी अंक स्टेप मार्किंग के द्वारा कुछ ना कुछ दिया जाता है।
सभी पॉइंट सही लिखे हैं तो पूरा अंक भी दिया जाता है।
किस विषय में बार-बार स्पेलिंग मिस्टेक के अधिक नंबर नहीं काटे जाते हैं। 8-10 स्पेलिंग मिस्टेक को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
राइटिंग अच्छी हो या खराब लेकिन पढ़ी जाने वाली होनी चाहिए इस पर अधिक य कम नहीं दिया जाता है। बल्कि उसने क्या लिखा है, उसका कंटेंट कैसा है? इस पर ध्यान दिया जाता है।
पुराने समय के मूल्यांकन पद्धति में बहुत से दोष होते थे। अब उन दोषों को हटाकर बच्चों का संपूर्ण मूल्यांकन प्रश्न पत्र के प्रश्नों के आधार पर होता है।
मार्किंग स्कीम में स्टेप मार्किंग प्रणाली को विकसित किया गया है।
ऐसे राइटिंग पर या अनुच्छेद लेखन प्रारूप और लेखन पर अलग-अलग अंक निर्धारित करके दिया जाता है।
नई शिक्षा नीति के तहत इन सभी बातों का ध्यान रखा जाता है। कोई भी परीक्षार्थी इस तरीके से तैयारी किया है तो वह प्रश्नों का उत्तर अच्छे तरीके से लिखता है और उसे पूरे अंक सभी विषय में मिल सकता है। कापी चेक करने वाले की अपनी विचारधारा या अपने व्यक्तिगत सोच के आधार पर नंबर नहीं देता है बल्कि जो मार्किंग स्कीम होती उसके आधार पर ही Mark's दिया जाता है और पूरी पढ़ाई में बच्चों की संपूर्ण व्यक्तित्व विकास और बौद्धिक क्षमता आदि का भी मापन किया जाता है।
एकेडमी में बच्चा कितना भी कमजोर हो लेकिन एक्टिविटी और मजबूत है तो वह भी पास हो जाता है और अच्छे अंक आता है।
इस तरह से हम कह सकते हैं कि सीबीएसई बोर्ड या किसी बोर्ड में बच्चों के परफॉर्मेंस के आधार पर ही नंबर दिया जाता है और यह नंबर जीरो से लेकर 100% तक हो सकता है।
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