Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language



Blog
Earn With Us

Asha Hire

| Posted on | Education


15 सितंबरः अभियंता दिवस

0
0



जीवन परिचयः

विश्वेश्वरैया जी जन्म 15 सितंबर, 1861 में कर्नाटक के मदैनहल्दी गांव में हुआ था। 15 सितंबर इंजीनियर दिवस भारतरत्न विश्वेश्वरैया जी को श्रद्धांजलि। इनका पूरा नाम मोक्षागुंडम विश्वेश्वरैया है, वह अनुशासन प्रिय है, कभी भी कहीं भी कोई भी अगर समय से उस स्थान पर नहीं पहुंच पाए तो वह उन्हें समय कितना मूल्य हैं इसके बारे में बताते हैं। वे बड़े स्वाभिमानी व्यक्ति थे उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश-कल्याण कार्यों के लिए बिताया।

शिक्षाः

विश्वेश्वरैया 1875 में बेंगलुरु के कॉलेज में प्रवेश लिया, सन् 1880 में उन्होंने पुणे के विज्ञान कॉलेज में प्रवेश लिया उन्होंने सन 1884 में मुंबई के ‘पब्लिक वकर्स डिपार्टमेंट’ में सहायक इंजीनियर के पद पर कार्य किया।

सामाजिक कार्य एवं सेवाएः

विश्वेश्वरैया ने अपना संपूर्ण जीवन देश के रचनात्मक कार्यों के लिए बिताया, उन्होंने उन खंभों को मजबूत बनाने का काम किया जिस पर देश टिका है। जब राष्ट्रीयता की भावना सभी लोगों के हृदय में जागृत हो चुकी थी तब उन्होंने भी स्वतंत्रता की लड़ाई का पूरे जोश के साथ समर्थन किया।

15 सितंबरः अभियंता दिवस

विश्वेश्वरैया की दो प्रमुख योजनाएः

सिंध के शक्कर नामक स्थान के लिए,

तथा दुसरा अदन के लिए पेय जलापूर्ति की समस्या को सुलझाया,

इन अच्छे काम के लिए उन्हें सरकार द्वारा ‘केसर ए हिंद’ नामक उपनाम से सम्मानित किया गया।

  • विश्वेश्वरैया ने खेतों की सिंचाई के लिए नहरें और बाँध बनाए।
  • उनके इस तरीके से सीमित पानी का प्रयोग कृषि के लिए उपयोगी साबित हुआ।
  • उनकी योजना से गरीब किसानों ने राहत की सांस ली।
  • विश्वेश्वरैया ने गांव में भी आर्थिक विकास के लिए अनेक कार्य किए।
  • उनका यह मानना था कि आर्थिक विकास के द्वारा ही राष्ट्रीय शक्ति प्राप्त करेगा और शक्ति प्राप्त करने के बाद ही लोगों की स्थिति में सुधार होगा तथा वह पूरे जोश के साथ देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ सकेंगे।
  • विश्वेश्वरैया जी को उनके महान कार्यों के लिए सन 1955 में ‘भारत रत्न’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।

विश्वेश्वरैया जी 102 वर्ष की अवस्था में भी अपने कार्यों के प्रति सजग थे और उसी वर्ष 14 अप्रैल,1962 को उनका स्वर्गवास हो गया। अपनी मृत्यु के अंतिम क्षण में भी उन्होंने अपने जन-कल्याण की भावना को नहीं छोड़ा। वह सदैव ही जनकल्याण के कार्यों में लगे रहे। विश्वेश्वरैया जी ने अपना संपूर्ण जीवन लोगों की सेवा में समर्पित कर दिया।

हमारे देश में ऐसे बहुत ही कम महापुरुष हुए जिन्होंने मानव जाति की सेवा के लिए अपना जीवन निछावर कर दिया विश्वेश्वरैया उनमें से एक थे जिन्होंने जल विवाद को सुलझा कर तथा कई नैहरे तथा बांध बनाकर जल आपूर्ति का समाधान किया उनके इस जल योजना द्वारा किसान अत्यधिक लाभान्वित हुए।