मां चंद्रघंटा की पूजा विधि के बारें में बताओ ? - letsdiskuss
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digital marketer | Posted on | Astrology


मां चंद्रघंटा की पूजा विधि के बारें में बताओ ?


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आज हम आपको यहां पर मां चंद्रघंटा की पूजा विधि के बारे में बताएंगे :-

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है मां चंद्रघंटा को कई नामों से पुकारा जाता है जैसे कि चंद्रखंडा और रणचंडी के नाम से जाना जाता है।

मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए सबसे पहले स्नान करना होगा नए और स्वच्छ कपड़े पहनने होते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा करने के लिए उनकी मूर्ति को चौका पर रखना होता है फिर इसे केसर और गंगाजल से स्नान कराएं। फिर देवी चंद्रघंटा को सुनहरे रंग के वस्त्र पहनाएं देवी चंद्रघंटा को पीले फूल चमेली, पंचामृत और मिश्री चढ़ाएं, और अंत में मां चंद्रघंटा को मीठे से भोग कराएं।Letsdiskuss


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मां चंद्रघंटा के पूजा विधि के बारे में- धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मां चंद्रघंटा पार्वती के विवाहित रूप है,कहा जाता है की महागौरी ने शिव से शादी के पश्चात आधे चांद से अपने माथे का सिंगार करना शुरू कर दिया था। जिसके कारण उन्हें देवी चंद्रघंटा के रूप में जाने जाना लगा।

नवरात्रि के तीसरे दिन माता दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की विधि विधान से इस मन्त्र, "ओम देवी चंद्रघंटाय नमः ” का जाप कर आराधना करने चाहिए। इसके बाद मां चंद्रघंटा को सिंदूर अक्षत गंध,धूप, पुष्प अधिक अर्पित करें। आप देवी मां को चमेली पुष्प अथवा कोई भी पुष्प अर्पित कर सकते हैं।साथी साथ दूध से बनी किसी भी प्रकार की मिठाई का भोग लगाय। पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा के पाठ और दुर्गा आरती का गान करें।

या देवी सर्वभूतेषु चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।Letsdiskuss


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Marketing Manager | Posted on


नवरात्रि का तीसरा नवरात्रा माँ चंद्रघंटा का माना गया है । आज आपको माँ चंद्रघंटा के व्रत और पूजन की विधि बताते हैं । माँ चंद्रघंटा की आराधना जीवन में कष्ट को हरने वाली है । जीवन में शांति की कामना के लिए माँ चंद्रघंटा की आराधना करना चाहिए । माँ चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। माँ चंद्रघंटा के शरीर का रंग सोने की तरह चमकदार है , और इनकी 10 भुजाएं हैं जो की अस्त्र और शास्त्र से शोभायमान है । माँ चंद्रघंटा के पूजन के समय माता का सफ़ेद रंग से श्रृंगार करना चाहिए और भक्तों को भूरे रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना चाहिए ।


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पूजा विधि :-
माँ चंद्रघंटा की पूजा और आराधना के लिए नवरात्रि का तीसरा दिन होता होता है । सबसे पहले घट का पूजन, उसके बाद नवग्रह और उसके बाद माँ चंद्रघंटा की आराधना करना चाहिए । पूजा में लाल रंग का सिंदूर, अक्षत , लाल फूल का प्रयोग किया जाता है ।
"या देवी सर्वभूतेषु चन्द्रघंटा रूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम" 108 बार जाप करें ।
व्रत कथा :-
असुर स्वामी महिषासुर ने देवता गण पर विजय प्राप्त कर के इंद्र का सिंहासन छीन लिया। सभी देवता गण परेशान हो गए और सभी देवता इस समस्या को लेकर त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास गए। देवताओं की इस समस्या को सुनकर ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और तीनों के क्रोध की अग्नि से एक तेज उत्पन्न हुआ और उस तेज से एक देवी का जन्म हुआ । माता चंद्रघंटा को सभी देवी-देवताओं ने अपने शास्त्र दिए और माता महिषासुर से युद्ध के लिए पूर्णतः तैयार हुई । फिर माता ने महिसासुर का संघार किया और सभी देवताओं की समस्या का समाधान किया । माँ चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए ।



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