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Brij Gupta

Optician | Posted on | News-Current-Topics


प्रियंका गाँधी के बयान पर अमित शाह ने क्या करारा जवाब दिया?


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | Posted on


2019 के लोकसभा चुनावों में हमारे देश के नेताओं को जनता के मुद्दों से कुछ लेना देना नहीं है.उनका मकसद सिर्फ एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाना है. लेकिन नेताओं की वजह से आम जनता के मुद्दे गायब हो गए हैं. क्योंकि इन लोगों को आपस में लड़ने से कभी फुर्सत ही नहीं मिलता. मोदी ने हाल ही में अपने चुनावी भाषण में राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर वन कहा था.इसके जवाब में प्रियंका गांधी ने मोदी की तुलना दुर्योधन से की थी और अपने बयान में राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्तियों का इस्तेमाल किया था

एक नजर प्रियंका के बयान पर

"जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है हरि ने भीषण हुंकार किया अपना स्वरूप विस्तार किया डगमग डगमग दिग्गज बोले भगवान कुपित होकर बोले जंजीर बढ़ाकर साध मुझे हा हा दुर्योधन बांध मुझे"



अमित शाह ने प्रियंका गांधी के दुर्योधन वाले बयान पर अपना जबाव कुछ इस तरह दिया 

"अभी प्रियंका गांधी ने मोदी जी को दुर्योधन कहा! प्रियंका जी यह लोकतंत्र है आपके कहने से कोई दुर्योधन नहीं हो जाता जनता 23 मई को बता देगी कि कौन दुर्योधन है और कौन अर्जुन"

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Blogger | Posted on


प्रधानमंत्री मोदीजी के राजीव गाँधी को भ्रष्टाचारी नंबर 1 कहने के बाद अब प्रियंका गाँधी ने भी उन्हें अहंकारी बोलकर पलटवार किया है। प्रियंका गाँधी ने एक चुनावी रैली में प्रचार के दौरान मोदीजी को ना सिर्फ अहंकारी बताया बल्कि उनकी तुलना दुर्योधन के साथ भी कर दी। कवी रामधारी दिनकर की एक कविता के जरिये उन्होंने मोदीजी पर यह टिपण्णी की।


जाहिर सी बात है की भाजपा की और से किसीको तो इसका जवाब देना ही था। इस बार यह श्रेय मिला भाजपा के प्रमुख अमित शाह को जिन्होंने कहा की चुनाव के नतीजों के बाद पता चलेगा की कौन दुर्योधन है और कौन अर्जुन।

Letsdiskuss सौजन्य: कैच न्यूज़ 

वैसे यह कोई पहला मामला नहीं है जब की मोदीजी को किसीने अहंकारी बताया हो। इस से पहले प्रकाश राज, चंद्रबाबू और ममता बनर्जी भी मोदीजी को अहंकारी बता चुके है और हर बार भाजपा की और से कोई और मोदीजी के बचाव में आने की भूमिका अदा करता है। चुनाव में नेताओ की जुबान किस कदर चलती है और प्रजा को सम्मोहित करने के लिए किस हद तक देश के नेता जा सकते है उस बात का यह सर्वश्रेष्ठ उदाहरण कहा जा सकता है। बोलने में तो दोनों ही पार्टिया कोई कसर नहीं छोड़ रही है।



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