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पृथ्वीराज चौहान के बारें में रोचक तथ्य क्या है?


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | Posted on


पृथ्वीराज चौहान के कुछ दो रोचक तथ्य आपके सामने लाना चाहता हूं| पहला पृथ्वीराज के जन्म से लेकर शादी तक और दूसरा, पृथ्वीराज चौहान की गोरी के कैद से मृत्यु तक का वर्णन | बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कैसे हुई|

पृथ्वीराज रासो काव्य में उल्लेख है कि, पृथ्वीराज जब ग्यारह वर्षीय थे, तब उनका प्प्रथम विवाह हुआ था| उसके पश्चात् प्रतिवर्ष उनका एक एक विवाह होता गया |जब तक पृथ्वीराज बाईस वर्षीय न हुए| उसके पश्चात् पृथ्वीराज जब छत्तीस वर्षीय हुए, तह उनका अन्तिम विवाह संयोगिता के साथ हुआ।

पृथ्वीराज का प्रप्रथम विवाह मण्डोर प्रदेश की नाहड राव पडिहार की पुत्री जम्भावती के साथ हुआ था| पृथ्वीराज रासो काव्य के हस्तप्रत में केवल पांच रानीओ के नाम हैं| वे इस प्रकार है - जम्भावती, इच्छनी, यादवी शशिव्रता, हंसावती और संयोगिता। पृथ्वीजरासोकाव्य की लघु हस्तप्रत में केवल दो नाम हैं| वे इच्छनी और संयोगिता हैं| और सब से छोटी हस्तप्रत में केवल संयोगिता का ही नाम उपलब्ध है| एवं संयोगिता का नाम सभी हस्तप्रतों में उपलब्ध है|

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु आखिर कैसे हुई?

गौरी के आदेश पर पृथ्वीराज के मन्त्री प्रतापसिंह ने पृथ्वीराज को 'इस्लाम्' धर्म को स्वीकार करने के लिये समझाया| पृथ्वी ने कहा कि मैं गोरी का का वध करना चाहता हूँ" ऐसा पृथ्वीराजः ने प्रतापसिंह को कहा|पृथ्वीराज ने आगे कहा कि, मैं शब्दवेध बाण चलाने को सक्षम हूँ| मेरी उस विद्या का मैं प्रदर्शन करने के लिये सज्ज हूँ| तुम किसी भी प्रकार गोरी को मेरी विद्या का प्रदर्शन देखने के लिये तत्पर करो| तत्पश्चात् राजसभा में शब्दवेध बाण के प्रदर्शन के समय गोरी कहाँ स्थित है ये मुझे कहना|मैं शब्दवेधी बाण से घोरी का वध कर अपना प्रतिशोध लूँगा|

परन्तु प्रतापसिंह ने पृथ्वीराज की सहयता करने के स्थान पर पृथ्वीराज की योजना के सन्दर्भ में गोरी को सूचित कर दिया| पृथ्वीराज की योजना के विषय में जब गोरी ने सुना, तो उसके मन में क्रोध के साथ कौतूहल भी उत्पन्न हुआ| उसकी कल्पना भी नहीं थी कि, कोई भी अन्ध व्यक्ति ध्वनि सुनकर लक्ष्य भेदन करने में सक्षम हो सकता है| परन्तु मन्त्री ने जब बारं बार पृथ्वीराज की निपूणता के विषय में कहा, तब गौरी ने शब्दवेध बाण का प्रदर्शन देखना चाहा| गौरी ने अपने स्थान पर लोहे की या पथ्थर की एक मूर्ति स्थापित कर दी थी| तत्पश्चात् प्रतापसिंह ने सभा में पृथ्वीराज के हाथ में धनुष और तीर दीये| गौरी ने जब लक्ष्य भेदने का आदेश दिया, तब अनुक्षण ही पृथ्वीराज ने बाण चला दिया। उस बाण से उस मूर्ति के दो भाग हो गये| उसके बाद पृथ्वीराज का अंतिम प्रयास भी विफल हो गया| पृथ्वीराज चौहान पर देशद्रोह का आरोप लगाकर उसे उसी क्षण तलवार से मार दिया गया|

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