हिन्दू धर्म में कई त्यौहार आते रहते हैं | वैसे भारत देश को हम त्यौहारों का देश कहें तो ये ग़लत नहीं होगा | हर महीने में त्यौहार, कभी ग्यारस, कभी पूर्णिमा, कभी
कृष्णा पक्ष तो कभी शुक्ल पक्ष ऐसे कई सारे नियम है जो हिन्दू धर्म को सबसे अलग बनाते हैं |
आज हम संकष्टी चतुर्थी व्रत का महत्व बताते हैं, इसके लिए सबसे पहले आपको यह जानना होगा कि संकष्टी चतुर्थी व्रत होता क्या ?
संकष्टी चतुर्थी व्रत क्या होता है :-
हर वर्ष में माघ के महीने में "कृष्णपक्ष" को चौथ(तिथि के हिसाब से 1 से 15 के बीच चौथी तिथि) पड़ती है उसको संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है | संकष्टी चतुर्थी को गणेश चौथ, तिलकुटा चौथ या फिर सकट चौथ भी कहा जाता है | इसका व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता है | इस व्रत में भगवान गणेश का पूजन किया जाता है और भोग के रूप में उन्हें तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं |
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भगवान श्री गणेश की साधना-अराधना का महत्व बहुत ही बड़ा है | यह व्रत हर महिला अपने बच्चे के लिए लेती है | यह व्रत मुख्य रूप से संतान के सौभाग्य और उसकी लंबी आयु के लिए किया जाता है | साथ ही इस व्रत को सुख और समृद्धि की कामना के रूप में भी किया जाता है | इस साल यह व्रत 24 जनवरी को आ रहा है |
कैसे करें इस व्रत का पूजन :-
संकट चौथ के दिन महिलाएं सुबह स्नान करने के बाद ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश जी का पूजन करती हैं, और पूरा दिन बिना खाएं पीये इस व्रत को पूरा करती हैं | पूरा दिन निर्जला व्रत लेकर शाम को गणेश जी का पूजन कर उन्हें फल-फूल, तिल, गुड़ का भोग लगाकर करती हैं | गणेश भगवान के पूजन में सबसे महत्वपूर्ण दूब चढ़ाना होता है | गणपति के सामने दीपक जलाकर गणेश जी के मंत्र का जाप करना और फिर चन्द्रमा का पूजन कर के व्रत को पूरा किया जाता है |
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