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दरअसल मे यदि किसी के दिमाग़ मे किसी चीज को लेकर डर बैठ जाता है, उसके दिमाग़ से डर निकालना बहुत ही मुश्किल होता है। क्योंकि बहुत से ऐसे लोग होते है, जो किसी ना किसी चीज से डरते है, जैसे कि बहुत से लोग भूत, चुड़ैल से डरते है, उनको रात मे सोते समय कोई बुरा सपना आ जाता है, तो वह उठ कर बैठ जाते है और जो सपने मे उन्होंने देखा है उसी बात को आपने मन मे बैठा लेते है, और उस सपने को सच समझकर डरने लगते है। लेकिन सच कहे तो ऐसा कुछ नहीं होता है, सिर्फ लोगो के मन का वहम होता है, डर जैसी कोई चीज होती ही नहीं है।
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डर अथवा भय का महत्वः
डर का महत्व विभिन्न संवेगों में डर एक महत्वपूर्ण संवेग है। अपने स्वाभाविक रूप में यह एक लाभप्रद संवेग है। यह हमें खतरों से बचने के लिए तैयार करता है। परंतु मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य की दृष्टि से डर सबसे अधिक विनाशकारी संवेग है। इससे शरीर के अंग ऐंठ जाते हैं और रुधिर का प्रवाह रुक जाता है। इस प्रकार मनुष्य की जीवनी शक्ति कम हो जाती है। अमेरिका के प्राकृतिक चिकित्सा के प्रसिद्ध डॉक्टर लिन्हडर का कथन है कि -- जो व्यक्ति भय की अनुभूति बार-बार करता है उसकी पाचन शक्ति भी नष्ट हो जाती है। गले में कुछ गिल्टियाँ होती है,
जिनसे एक प्रकार का रस स्त्रवित होता है जो शरीर की वृद्धि करता है और उसे पुष्ट बनाता है। जब इस रस की कमी होने लगती है, तो शरीर में इतनी क्षमता नहीं रहती कि वह बाहरी बीमारियों के कीटाणुओं का सामना कर सके। भय की अवस्था में ये गिल्टियाँ रस का उत्पादन बंद कर देती है।
डर अथवा भय का विकासः
जन्म के समय यह संवेग अपनी सुप्त अवस्था में होता है। एक छोटा सा शिशु किसी बात से भयभीत नहीं होता। विषैले सांप तथा बिच्छू भी उसमें किसी प्रकार के भय का संचार नहीं करते, इसके विपरीत वह उन्हें पकड़कर खेलना चाहता है। जैसे-जैसे बालक बड़ा होता है उसमें भय की मात्रा बढ़ती जाती है। बड़े व्यक्ति छोटे बालकों की अपेक्षा अधिक भयभीत होते हैं।
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डर एक ऐसा वहम होता है जो इंसान को अंदर से एकदम कमजोर कर देता है जो व्यक्ति अपने अंदर डर उत्पन्न कर लेता वह अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ सकता है। दरअसल डर एक यैसी नकारात्मक शक्ति होती है जिसके कारण से ना तो इंसान अच्छे से सो पाता और ना ही उसे कोई काम करने में भावुक इच्छा जागृत नहीं होती है डर के कारण वह कुछ भी कार्यों को लेकर असफल रहता है.।
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डर क्या है? ये प्रश्न आपके मन में कभी ना कभी तो आया ही होगा? इस दुनिया में रहने वाले लगभग सभी लोगों को किसी ना किसी चीज का तो डर अवश्य होता ही है। किसी चीज से डर होने के पीछे कहीं ना कहीं हमारी मानसिकता जुड़ी हुई होती है। जैसे कुछ लोग ऐसे होते हैं जो ऊंचाई से डरते हैं, ऊंचाई से डरने के पीछे लोगों की ये मानसिकता होती है कि वे इस ऊंचाई से गिरकर कहीं घायल या मर ना जाए। इसके अलावा अपनी बीती हुई जिंदगी में कुछ लोग किन्ही चीजो के द्वारा बुरा महसूस किए हुए होते हैं इसलिए वह अपनी आगे की जिंदगी में भी उन्ही चीजो से डरते हैं। कुछ लोगों को भूत प्रेतों से बहुत डर लगता है। डर लगने की एक वजह ये हो सकती है कि बचपन में घर वालों के द्वारा डरावनी कहानियां सुनाई जाती हैं जिससे मन में डर बैठ जाता है और वो डर हमेशा रहता है।
परंतु डर से विजय भी पाई जा सकती है। डर से विजय पाने के लिए मानसिकता बदलनी आवश्यक होगी।
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आइए आज हम आपको बताते हैं कि डर किसे कहते हैं। डर यानी कि है हर एक व्यक्ति को किसी ना किसी चीज का डर रहता है। किसी व्यक्ति को रात में अंधेरे में रहने से डर लगती है। व्यक्ति को भूत प्रेत के से डर लगती है, तो किसी व्यक्ति को गहरे पानी से डर लगती है इस तरह डर लगने के कई कारण हो सकते हैं। तो किसी व्यक्ति को ऊंचाइयों से डर लगती है क्योंकि उसे लगता है कि कहीं वह उचाई से गिरकर मर ना जाए इस प्रकार हमारे मन के अंदर डर बैठ जाता है।
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