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जैसा कि आप सभी को पता है कि कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। आज भारत भी अन्य देशों की तरह कोरोनावायरस के शिकंजे में कुछ इस तरह आ गया है कि अब कोरोनावायरस के इस जाल से बाहर निकल पाना उसके लिए बेहद ही मुश्किल हो रहा है। हालांकि अब भारत ने कोरोनावायरस की वैक्सीन का निर्माण कर लिया है और बारी-बारी से लोगों को वैक्सीन लगाई भी जा रही है।
लेकिन कोरोना काल के दौरान सरकार की नीतियों का भारत की जनता को पूर्ण समर्थन नहीं मिल रहा है। जनता का सरकार को पूर्ण समर्थन ना करने का कारण मोदी सरकार की कुछ असफलताए है। कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार के कुछ ऐसे निर्णय है जिनसे जनता बहुत ज्यादा परेशान हो चुकी है।आज के इस आर्टिकल में मैं आपको यह बताऊंगा कि वह कौन से कारण है जिनसे कोरोना काल में मोदी सरकार की लोकप्रियता को आघात पहुंचा है।
कोरोना महामारी के दौरान मोदी सरकार ने कुछ ऐसे निर्णय लिए हैं जिनसे जनता परेशान हो गई है। जहां एक और सरकार प्रत्येक व्यक्ति को मास्क ना पहनने पर ₹500 का भारी चालान कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर सरकार ने बंगाल में हजारों की बड़ी संख्या में रैली की, इस चुनाव रैली में हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे और कई लोगों ने तो मास्क भी नहीं पहना था। क्या इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार की नीतियां सिर्फ आम आदमी पर ही लागू होती हैं। जबकि कोरोना काल में हमने देखा कि जो पुलिस आम लोगों का ₹500 का चालान काट रही है उस पुलिस के कई सिपाहियों ने तो मास्क भी नहीं पहना होता है, लेकिन यह नियम सरकार और पुलिस पर कहां लागू होते हैं यह नियम तो सिर्फ आम आदमी पर लागू होते हैं, वह आम आदमी जिनके लिए इस कोरोना काल में 500 रूपये 5000 रुपए से कम नहीं है। वहींंंं अगर महंगाई की बात करें तो महंगाई दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है, जो खाद्य सामग्री लोगों को ₹50 में मिलती थी वह अब ₹100 में मिल रही है, कई लोगों की नौकरियां जा चुकी है, और आलम यह है कि देश में बेरोजगारी की संख्या कई गुना बढ़ गईं है। लोग बेरोजगार हैं और महंगाई बढ़ती ही जा रही है और साथ ही पेट्रोल की कीमतों में हर रोज बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिससे ट्रांसपोर्ट और यातायात का किराया महंगा हो रहा है। यही सारे कारण है जिस कारण लोगों का विश्वास मोदी सरकार से उठ गया है और इसी कारण मोदी सरकार की लोकप्रियता इस कोरोना महामारी के दौरान कम हुई है।
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