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दोस्तों इस पोस्ट में हम स्वर्ग के बारे में बात करेंगे स्वर्ग को मेरु पर्वत के ऊपर लोको हेतु प्रयुक्त है स्वर्ग वह स्थान होता है जहां पुण्य करने वाले पुण्य तीक्ष्ण होने तक यह कहे तो जन्म लेने तक लोग यहीं रहते हैं स्थान पुण्य आत्माओं के लिए है। जिसे स्थान निर्धारित पर पुण्य कर्म किए हैं उन्हें स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है स्वर्ग में सब प्रकार के आनंद प्राप्त होते हैं यह पाप से परे होता है स्वर्ग लोक के द्वारपाल इंद्र का वाहन ऐरावत है और इंद्रदेव स्वर्ग के प्रधान है।
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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | Posted on
हमारे हिंदू शास्त्र के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि स्वर्ग वह स्थान है।जहां पर देवों का वास होता है।ज़ब कोई व्यक्ति अच्छे कर्म करके स्वर्ग जाता है तो उसे मेहमानों की तरह अच्छे से स्वागत की जाती है। अनेक प्रकार के पकवान खिलाए जाते हैं और उनके मनोरंजन के लिए कई अप्सराओं का नाच दिखाया जाता है। वह व्यक्ति जो अच्छे कर्म करके स्वर्ग जाता है उसे भगवान 84 का चक्कर नहीं लगाना पड़ता है। जिसके कारण उसके जीवन को मोक्ष प्राप्त हो जाता है।
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जी हां बिलकुल हम स्वर्ग के बारे में जानते हैं हमारे हिंदू धर्म में विष्णु पुराण के अनुसार स्वर्ग को मेरु पर्वत के ऊपर माना गया है कहा जाता है कि स्वर्ग उन लोगों को मिलता है जो लोग धरती पर को पुण्य का कार्य करते हैं लेकिन उन्हें स्वर्ग मिलने के बाद मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। स्वर्ग में पुण्य करने वाला अपने पुण्य क्षीण होने तक वहीं पर वास करते हैं। कहा जाता है कि स्वर्ग में सभी देवी देवता रहते हैं। पुणे आत्माओं को स्वर्ग इसलिए भेजा जाता है क्योंकि वहां पर वे सुख भोग सकें।
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student | Posted on
हमारे हिंदू धर्म विष्णु पुराण के अनुसार सर्व को मेरु पर्वत के ऊपर माना गया है इस वर्ग के लोग के द्वार उस पुण्य आत्मा के लिए खुलते हैं जिसने अपने पुण्य होने तक अगले जन्म लेने से पहले तक रहना होता है सभी लोग उन आत्माओं के लिए होता है जिन्होंने पुण्य किए हो परंतु उन्हें मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति नहीं मिली है यहां से प्रकार के पापों और आनंद से परे आत्माएं रहती हैं
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