पृथ्वी पर रहने वाले पौधों, जानवरों और सूक्ष्मजीवों की प्रजातियों की कुल संख्या को जैव विविधता कहा जाता है।
यह पारिस्थितिकी तंत्र में मौजूद जीवों की विविधता है। पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखना बहुत आवश्यक है जो जैव विविधता के संरक्षण द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
समाज में मानव अन्योन्याश्रित है। मनुष्य को सामाजिक प्राणी माना जाता है। मानव अपने अस्तित्व और भलाई के लिए दूसरों पर निर्भर करता है।
इसके अलावा, हमेशा जैविक और अजैविक समुदायों के साथ मानव की बातचीत होती है।