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श्रावण मास में हिन्दू मांसाहारी भोजन क्य...

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| Updated on November 7, 2023 | astrology

श्रावण मास में हिन्दू मांसाहारी भोजन क्यों नहीं करते?

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@shwetarajput8324 | Posted on July 24, 2021

हिंदू धर्म में हर चीज किसी न किसी ठोस तर्क पर आधारित होती है। श्रावण मास में पूरे वर्ष में सबसे अधिक वर्षा होती है। उच्च वर्षा के कारण कुछ चीजें होती हैं -

  • जल जनित रोगों में वृद्धि।
  • संक्रमण की चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है।
  • कम प्रतिरक्षा स्तर के लिए भी श्रावण मास जाना जाता है।


अब बारिश और आर्द्र वातावरण के कारण मांस आसानी से संक्रमित हो सकता है। कम प्रतिरक्षा स्तर के साथ, एक बीमारी को पकड़ने की संभावना अधिक होती है और इस महीने के दौरान मांस से बचना सबसे अच्छा है।

आध्यात्मिक रूप से कहा जाए तो श्रावण मास भगवान शिव को समर्पित है, जहां उन्होंने हलाहल का सेवन किया और ब्रह्मांड को सबसे घातक जहर से बचाने के लिए नीला हो गया। भगवान शिव की पूजा, ध्यान, मंत्र या भजन करने में स्वयं को संलग्न करना चाहिए।

वैज्ञानिक रूप से कहें तो मानसून की शुरुआत का महीना होने और धूप कम होने के कारण यह हमारी पाचन क्रिया को धीमा कर देता है। इन महीनों के दौरान, आहार यथासंभव हल्का और पचाने में आसान होना चाहिए। मांसाहारी भोजन करने से भोजन के अणुओं को तोड़ने में अधिक समय लगता है जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

इसलिए श्रावण मास में लोग मांस खाने से परहेज करते हैं।

पोषण के दृष्टिकोण से, हम देखते हैं कि यह प्रणाली पिछले कुछ वर्षों में कैसे विकसित हुई होगी:

श्रावण मानसून के मौसम के दौरान आता है और आम तौर पर खेत-भूमि बारिश के पानी से भर जाती है, जिससे खेतों से भोजन निकालना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा, फ़ीड में पानी की मात्रा अधिक होने के कारण बैक्टीरिया और कवक के विकास की संभावना होती है।


संग्रहीत भोजन के मामले में भी, उच्च आर्द्रता के कारण, कवक और जीवाणु वृद्धि की संभावना है।


इससे सब्जियां, अनाज आदि जैसे खाद्य पदार्थ उपभोग के लिए असुरक्षित हो जाते हैं या जब इनका सेवन किया जाता है, तो वे पाचन में समस्या पैदा करते हैं या लोगों को बीमार कर देते हैं (हम मान रहे हैं कि ये प्रथाएं हजारों वर्षों में विकसित हुई हैं, जब कोई आधुनिक संरक्षण तकनीक उपलब्ध नहीं थी भोजन को सुरक्षित रखें या इसे बेहतर बनाने के लिए संसाधित करें)।

इस प्रकार, हम मानते हैं कि श्रावण मास के दौरान उपवास की प्रथा विकसित हुई।

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हर हर महादेव
ॐ नमः शिवाय
जय हो बाबा विश्वनाथ की
बम बम भोले

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@krishnapatel8792 | Posted on December 22, 2021

श्रावण मास शुभ है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण बारिश का महीना है। आमतौर पर जुलाई के मध्य में शुरू होता है और अगस्त के मध्य तक रहता है ज्यादातर हिंदू श्रावण के दौरान मांसाहारी भोजन नहीं करते हैं। श्रावण के दौरान केवल शाकाहारी भोजन करने के कुछ संभावित कारण हैं। जिनमें धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण शामिल हैं। इस महीने का हर दिन महत्व से भरा होता है इसलिए हिंदू इस महीने में मांसाहारी भोजन से परहेज करते हैं। सच तो यह है कि श्रावण मास की तो बात ही छोड़िए हिंदुओं को मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए जो हिंदू मांस खाते हैं वह विशेष धार्मिक दिनों जैसे रामनवमी जन्माष्टमी नवरात्र दिवाली आदि और कुछ विशेष महीनों जैसे श्रावण चतुर्मास्य कार्तिक आदि के दौरान मांस खाने से बचते हैं।

महाभारत में बताया गया है कि जो प्राणी प्राणियों का मांस खाकर अपने मां को बढ़ाने की इच्छा रखता है वह अपने अगले जन्म लेने वाले किसी भी प्रजाति में दुख रहता है।Article image

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@aanyasingh3213 | Posted on November 4, 2023

क्या आप जानते हैं कि श्रावण मास में हिंदू लोग मांसाहारी भोजन क्यों नहीं खाते हैं शायद आपको इसके पीछे का कारण मालूम नहीं होगा तो कोई बात नहीं चलिए हम आपको इसकी जानकारी देते हैं। श्रावण मास हिंदू लोगों के लिए सबसे पावन महीना होता है इसी महीने में वर्षा देवता बरसात करते हैं और हम पर अपनी कृपा बरसाते हैं। सावन का महीना हिंदुओं के लिए इसलिए पवित्र है क्योंकि इस महीने में भगवान शिव जी की पूजा की जाती है। इसलिए इस महीने की किसी भी दिन हम हिंदू लोग मांसाहारी भोजन के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं क्योंकि यदि हम सोचते हैं तो हमें पाप लगता है। और हिंदू लोग पाप के भागीदारी नहीं बनना चाहते हैं। यही वजह है कि सावन के महीने में मांसाहारी भोजन नहीं किया जाता है। जानकारी अच्छी लगी हो तो पोस्ट को लाइक अवश्य करें।

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@shivanipatel1667 | Posted on November 5, 2023

सनातन धर्म में श्रावण का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना करने विशेष महीना माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित रहता है। इसीलिए कहा जाता है कि हिंदू श्रावण मास में मांसाहारी भोजन नहीं करते। सनातन में जो लोग श्रावण महीने में मांसाहारी भोजन करते हैं उनको बहुत पाप पड़ता है। ऐसे व्यक्तियों पर भगवान शिव बहुत क्रोधित होते है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रावण के महीने में ही भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष का प्याला पिया था.इस विष का ताप इतना तेज था की इंद्र देवता ने बारिश करके उन्हें शीतल किया था. इसलिए सावन के महीने में बारिश भी होती है। इसी महीने मे माता पार्वती भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी. जिसके चलते आगे जाकर उनका विवाह भगवान शिव के साथ हुआ।ऐसे में भगवान शिव को श्रावण का महीना बहुत प्रिय होता है। इसीलिए गलती से भी श्रावण मास में हिंदुओं को मांसाहारी भोजन नहीं करना चाहिए।Article image

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@sapnapatel2495 | Posted on November 6, 2023

इंफेक्शन का खतरा: सावन के महीने में लगातार बारिश होने की वजह से वातावरण में कई तरह के संक्रमण फैलने लगते हैं। ऐसे में जीव जंतु जो घास और पत्ते आदि खाते हैं उन संक्रामक बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं जब हम इन संक्रमित जानवरों का मांस खाते हैं तो हमारे भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है यही वजह है कि इस मौसम में नॉनवेज छोड़ने की सलाह दी जाती है।

प्रजनन का महीना:बरसात का मौसम कई जीवों के लिए प्रजनन यानी ब्रीडिंग का महीना होता है। ज्यादातर जीव जंतु इस मौसम में ब्रीडिंग करते हैं ऐसे में किसी भी प्रेग्नेंट जीव को खाने से हमारे शरीर को नुकसान पहुंचता है। साइंस की मानो तो प्रेगनेंसी की वजह से इन जीवों के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं ऐसे में इनके सेवन से हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता हैArticle image

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