मृत्युभोज (तेरहवीं) क्यों कराया जाता है? - letsdiskuss
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Kush Kumar

Student | Posted on | Astrology


मृत्युभोज (तेरहवीं) क्यों कराया जाता है?


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जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और उनका शरीर देह को छोड़कर चला जाता है तब भौतिक जीवन में बहुत से संस्कार किए जाते हैं जिसमें से एक मृत्युभोज या तरहवीं है। पहले के समय मैं मृत्यु होने के बाद केवल ब्राह्मणों को भोज कराया जाता था लेकिन समय बदलते समाज ने अपनी लज्जा और इज्जत के कारण मृत्यु भोज करवाते हैं और मृत्यु भोज के बाद ब्राह्मणों को दान दक्षिणा भी देते हैं जिससे उसकी आत्मा को शांति मिल सके.।

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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | Posted on


हमारे भारत में मृत्युभोज तब की जाती है जब किसी मनुष्य की मृत्यु हो जाती है! मृत्यु भोज कराने से मरे हुए व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है ! इस मृत्यु भोज में सभी को निमंत्रण दिया जाता है और पंडितों को भी बुलाया जाता है जिसमे वह सभी लोग मरे हुए इंसान के नाम का भोजन करते हैं और उस मरे हुए व्यक्ति को पुण्य प्राप्त होता है ! Letsdiskuss


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student | Posted on


मृत्यु भोज जब मनुष्य की मृत्यु हो जाती है, और उसकी आत्मा का उसका शरीर छोड़ने के बाद मानव जीवन मै बोहत से संस्कार मनुष्यों के द्वारा किये जाते है जिनमे से एक संस्कार मृतुभोज का तेरहवीं संस्कार है दशको पहले मनुष्य की मृत्यु होने पर सिर्फ ब्राह्मणों को अमंत्रीत करके भोज करवाते थे लेकिन अब बदलेते समाज को देखते हुए आजकल लोग अपनी इज्जत या लज्जा के कारण भी आजकल मृत्युभोज करवाते है,


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जब भी किसी के घर में किसी व्यक्ति या औरत की मृत्यु हो जाती है। उनका शरीर देह को छोड़कर चला जाता है। मृत्यु के 13 दिन बाद उसके परिवार वाले तराहवी का आयोजन करते हैं। जिसमें सभी रिश्तेदार आते हैं और उन्हें भोजन कराया जाता है। पहले के जमाने में केवल ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता था लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया लोगों की सोच में बदलाव आने लगा और फिर यह रिवाज बदल गई अब केवल ब्राह्मणों को ही भोजन नहीं कराया जाता बल्कि सभी लोगों को भोजन कराया जाने लगा है। पहले ब्राह्मणों को भोजन करवाते हैं फिर बाद में सभी लोग भोजन करते हैं। भोजन के पश्चात ब्राह्मणों को दान दक्षिणा दी जाती है। और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है की मृत्यु होने के बाद उनकी आत्मा को शांति मिले।Letsdiskuss


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@ teacher student professor | Posted on


Letsdiskuss किसी मनुष्य की मृत्यु के बाद उनके परिवार के सदस्य तेहरवी का आयोजन करवाते हैं। प्राचीन समय में इस भोज में सिर्फ ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता था माना जाता है कि ब्राह्मणों को भोजन करवाने से मनुष्य की आत्मा को शांति प्राप्त होती है और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाती हैं। परंतु आज के समय में ब्राह्मणों के साथ-साथ अपनी बिरादरी को भी भोजन करवाया जाता है। यह समागम विवाह के समागम की भांति ही शानदार होता जा रहा है, देखने में ऐसे प्रतीत होता है कि मरने से के परिवारजनों को गम कम खुशी ज्यादा हो रही हो। मेरी राय केेेेे अनुसार यह समागम साधारण तरीके से किया जाना चाहिए।






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