बेटी बचाओ,बेटी बचाओ योजना भारत सरकार की एक मुहीम है, जो 22 जनवरी 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई थी | इस योजना का मुख्य उद्देश्य भारत में बढ़ते लिंग अनुपात को कम करना था | भारत में 2001 की जनगणना के अनुसार 0-6 वर्ष के बच्चों के लिंग अनुपात का आंकड़ा 1000 लड़कों के अनुपात में 927 लड़कियाँ था जो कि 2010 की जनगणना में बढ़कर 1000 लड़कों के अनुपात में 918 लड़कियाँ हो गया | यह आंकड़े निराश करने वाले थे क्योंकि लिंग भेद होने का अर्थ है, बेटियों के जन्म को रोका जा रहा है, जो कि चिंता का विषय है | इसी कारण भारत सरकार द्वारा इस योजना को लागू किया गया था |
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना भारत के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ,स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल है | इस योजना को कार्यरत करने के लिए सरकार भारत के 100 जिलों में कार्य कर रही है, और बल लिंग अनुपात को समान बनाने के प्रयास कर रही है | 20 अगस्त 2016 को ओलिंपिक खेल 2016 में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मालिक को इस योजना का ब्रांड अम्बैसडर बनाया गया |
इस योजना के तहत सोशल मीडिया पर #SelfieWithDaughter अत्यधिक प्रचलित हुआ था जिसमे हरियाणा ( अत्यधिक लिंग अनुपात वाला राज्य) के अनेक मुखियाओं ने अपनी बेटी के साथ अपनी तस्वीर खींचकर फेसबुक पर डाली | इस हैशटैग को वैश्विक पटल पर ख्याति उपलब्ध हुई थी |
योजना के उद्देश्य
- उल्ट्रासॉउन्ड के कारण लोगो द्वारा भ्रूण के लिंग की जांच कराकर बेटी को जन्म से पहले ही मार दिया जाता था | यह लिंग अनुपात में कमी का सबसे बढ़ा कारण भी था | इसे रोकने के लिए इस योजना को लागु किया गया |
- पक्षपाती लिंग चुनाव की प्रक्रिया का उन्मूलन करना और बालिकाओं का अस्तित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना इस योजना का प्रुमख उद्देश्य है |
- बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना और यह जांचना की विद्यालयों में प्रयाप्त मात्रा में बालिकाएं उपस्थित हो रहीं हैं या नहीं |