भारतीय खेल इतिहास के स्वर्ण पल कौनसे है ...

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| Updated on August 15, 2018 | Sports

भारतीय खेल इतिहास के स्वर्ण पल कौनसे है ?

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@priyagupta2619 | Posted on August 15, 2018

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@priyagupta2619 | Posted on August 15, 2018

भारतीय खेल इतिहास में ऐसे बहुत से सुनहरे अवसर रहे जिन्होंने भारतीय पन्नो को सवर्ण अक्षरों से भर दिया | भारत में यदि खेल की बात करें तो एक लोकोत्ति है जो अधिकतर माँ बाप अपने बच्चे को कहते है और वह है " पढोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब ,खेलोगे कूदोगे तो बनोगे खराब " | इस लोकोत्ति को गलत ठहरकर कुछ ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्होंने पूरी दुनिया को दिखा दिया की खेल का महत्त्व किसी पढ़ाई से कम नहीं | कुछ ऐसे ही खिलाड़ियों और सुनहरे पलो की हम बात करने जा रहे है जो भारत के साथ साथ विश्व के लिए मिसाल बन गए |


1986 PT उषा का करिश्मा


PT उषा भारतीय athlete हैं जिन्होंने 1986 में Asian games में 4 स्वर्ण पदक अपने नाम किये | PT उषा के इस करिश्मे ने सबको हैरान करके रख दिया | हर भारतीय को उनपर बहुत ज़्यादा गर्व हुआ और लड़किया खेल में कितना अच्छा प्रदर्शन करती है ये भी सबने देखा |


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(Courtesy : ABC NEWS )


1996 - Leander का ओलम्पिक पदक


Leander Paes ने 44 वर्षो के लम्बे इंतज़ार के बाद भारत के लिए पहला ओलम्पिक पदक जीता | उन्होंने ओलम्पिक खेलो में टेनिस में कांसा पदक जीता |


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(Courtesy : Jansatta )


1975 - Hockey World Cup


भारत का पहला Hockey World Cup भारत के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था | भारतीय हॉकी टीम ने 15 मार्च 1975 में पाकिस्तान को 2 -1 से हराकर यह World Cup जीता |


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(Courtesy : mid-day.com )


1983 -2011 Cricket World Cup


1983 का पहला World Cup और 2011 का 38 वषों बाद का world cup दोनों ही हर भारतीय के लिए जश्न मनाने का सबसे बड़ा अवसर था | लोग रोये , खुश हुए , लोगो ने पटाखे फोड़े और जाने क्या क्या नहीं किया अपनी ख़ुशी बयाँ करने के लिए |


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(Courtesy : cricketnmore.com )


2008 - अभिनव बिंद्रा का ओलम्पिक में स्वर्ण पदक

सालो बाद भारत के लिए ओलम्पिक खेलो में अभिनव बिंद्रा द्वारा जीते स्वर्ण पदक ने उनका नाम भारतीय इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए स्वर्ण अक्षरों में लिख दिया | जब भारतीय झंडा सबसे ऊपर फहराया गया तो हर भारतीय के चेहरे पर मुस्कान और आँखों में आंसू थे |
2009 - साइना नेहवाल का super series जीतना
2009 में साइना नेहवाल पहली भारतीय महिला बनगयी जिन्होंने बैडमिंटन में Super series tournament अपने नाम किया|

2017 - भारतीय क्रिकेट टीम World Cup में

अचानक से ही सबका ध्यान भारतीय क्रिकेट टीम की और बढ़ गया जब उन्होंने एक के बाद एक जीत अपने नाम करते हुए फाइनल में अपनी जगह बनाई |

2018 - हीमा दास

हीमा दास पहली भारतीय महिला बन गयी जिन्होंने Athletics में World Junior Athletics Championships में स्वर्ण पदक जीता |

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@seemathakur4310 | Posted on August 17, 2018

मेरे लिए भारतीय खेल इतिहास का स्वर्णिम पल वह था जब Indian Women cricket Team महिला वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची थी | हालांकि वह जीत नहीं सकी परन्तु आखिरकार उन्हें वह सम्मान प्राप्त हुआ जिसकी वह हकदार थी | क्रिकट के दीवाने जिन्हे पुरुष भारतीय टीम के एक एक खिलाड़ी की निजी ज़िन्दगी का भी भलींभाँति ज्ञान होगा उन्हें एक महिला क्रिकेटर का नाम तक नहीं पता था | परन्तु महिला क्रिकेट टीम के प्रदर्शन ने उनकी तरफ सभी का ध्यान आकर्षित किया और मिथाली राज जैसी कप्तान की कप्तानी में उनकी पूरी टीम ने सर्वोच्च प्रदर्शन किया | यही मेरेलिए सबसे स्वर्णिम पल था |


Article image picture courtesy - Deccan Chronicle

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@ramjitakediya9373 | Posted on September 11, 2018

भारतीय खेल इतिहास के स्वर्ण पल कौनसे है ?
भारतीय खेल इतिहास में ऐसे सैंकड़ो सुनहरे पल है जिन्हे देखकर यकीन नहीं होता कि यह घटना सचमुच घटित हुई है | खिलाड़ी वह हीरा होते हैं जो अपने हुनर से अपनी पहचान बनाते है, अपने देश का नाम रोशन करते हैं और अपनी तकदीर लिखते हैं | ऐसे बहुत से पल हैं जब खेलो में ऐसे ऐसे वाकये हुए हैं जिसमे खिलाड़िओ ने इतिहास के पन्नो पर अपना नाम हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में लिख दिया | ऐसे ही कुछ स्वर्णिम पल निम्नलिखित है :
मैरी कॉम का स्वर्ण
मैरी कॉम पांच बार मुक्केबाजी में विश्व विजेता रह चुकी हैं | मैरी कॉम ने अपने जज़्बे और हुनर से दुनिया भर में अपना और भारत का नाम रोशन किया है | सबसे ज़्यादा स्वर्णिम पल यह था जब मैरी कॉम ने 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता | मैरी कॉम पहली भारतीय महिला थीं जिन्होंने एशियाई खेलो में मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीता था |
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कमनवैल्थ 2018 में कुश्ती
यह भारत के लिए एक बहुत ही गर्व का अवसर था जब भारत से Commonwealth Games में गए 12 के 12 पहलवानो ने पदक जीते | कोई एक पहलवान भी पदक के बिना नहीं लौटा | इसमें भारत ने 5 स्वर्ण, 3 रजत और 4 कांस्य पदक जीते | राहुल अवरे, सुमित मलिक, बजरंग पुनिया, सुशील कुमार, विनेश फोगट, बबिता कुमारी, साक्षी मलिक, मौसम खत्री, सोमवीर, दिव्या ककरण और किरण बिश्नोई सभी पदक लेकर भारत लौटे |

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@ramjitakediya9373 | Posted on September 11, 2018

भारतीय खेल इतिहास में ऐसे सैंकड़ो सुनहरे पल है जिन्हे देखकर यकीन नहीं होता कि यह घटना सचमुच घटित हुई है | खिलाड़ी वह हीरा होते हैं जो अपने हुनर से अपनी पहचान बनाते है, अपने देश का नाम रोशन करते हैं और अपनी तकदीर लिखते हैं | ऐसे बहुत से पल हैं जब खेलो में ऐसे ऐसे वाकये हुए हैं जिसमे खिलाड़िओ ने इतिहास के पन्नो पर अपना नाम हमेशा के लिए सुनहरे अक्षरों में लिख दिया | ऐसे ही कुछ स्वर्णिम पल निम्नलिखित है :

मैरी कॉम का स्वर्ण

मैरी कॉम पांच बार मुक्केबाजी में विश्व विजेता रह चुकी हैं | मैरी कॉम ने अपने जज़्बे और हुनर से दुनिया भर में अपना और भारत का नाम रोशन किया है | सबसे ज़्यादा स्वर्णिम पल यह था जब मैरी कॉम ने 2014 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता | मैरी कॉम पहली भारतीय महिला थीं जिन्होंने एशियाई खेलो में मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक जीता था |

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Commonwealth Games 2018 में कुश्ती

यह भारत के लिए एक बहुत ही गर्व का अवसर था जब भारत से Commonwealth Games में गए 12 के 12 पहलवानो ने पदक जीते | कोई एक पहलवान भी पदक के बिना नहीं लौटा | इसमें भारत ने 5 स्वर्ण, 3 रजत और 4 कांस्य पदक जीते | राहुल अवरे, सुमित मलिक, बजरंग पुनिया, सुशील कुमार, विनेश फोगट, बबिता कुमारी, साक्षी मलिक, मौसम खत्री, सोमवीर, दिव्या ककरण और किरण बिश्नोई सभी पदक लेकर भारत लौटे |

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