हमे अपने जीवन में किसे प्रेम करना चाहिए और किसे नहीं? क्या हमे अपने जीवनसाथी चुनने का हक़ नहीं है? क्या हो यदि आप उससे प्रेम कर बैठो जिससे आपको प्रेम नहीं करना चाहिए? कौन तय करता है कि हमे किससे प्रेम Read More
मंटो की मंटोइयत आज उनकी मृत्यु के बाद भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी उनकी मृत्यु से पहले थी | अब आप पूछेंगे कि "भई ये मंटोइयत है क्या ?" मंटोइयत वह है जब आप खुदको कीचड़ में डाल देते हैं उस कीचड़ को साफ़ कRead More
"कोई किनारा जो किनारे से मिले वो, अपना किनारा है |" एक नाम है गुलज़ार जो लबों पर आता है तो ढेरो यादें आँखों के सामने आने लगती हैं, कभी मन में आता है "ऐ ज़िन्दगी गले लगा ले" तो कभी लगता है "दिल तो बच्चा Read More