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हमारे परिवार में जिन पूर्वजों का देहांत हो चुका होता है हम उन्हें अपने पित्र मानते हैं। और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए हर वर्ष पितृपक्ष मनाते हैं। जिससे हमारे पूर्वज आकर हमें आशीर्वाद देते हैं। और हमारा ख्याल रखते हैं। पितृपक्ष मनाने के लिए जिस दिनउस इंसान की मृत्यु होती है उस दिन की तिथि पर हम उनकी श्राद्ध बनाते हैं। हम उन्हें दोपहर के समय जल लेकर अर्पण करते हैं। और उस जल में तिल मिला लेते हैं। उस दिन हम लोगों को दान दक्षिणा करते हैं। लोगों को भोजन कराते हैं। निर्धन को धन देते हैं। इसी प्रकार जिस पति की पत्नी खत्म हो जाती है तो उसका पति अपनी पत्नी को जल अर्पित कर सकता है।
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आप जानना चाहते हैं कि क्या पति अपनी पत्नी के लिए जल अर्पण कर सकता है तो चलिए हम आपको इसकी जानकारी देते हैं:-
जैसे कि हमारे हिंदू धर्म में यदि किसी के घर में किसी पूर्वज का देहांत हो जाता है तो हम उन्हें अपना पित्र मानते हैं। और फिर उनका आशीर्वाद पाने के लिए हम पितृपक्ष मनाते हैं। तो हमारे पूर्वज आते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं। और पितृपक्ष मनाने के लिए उसे तिथि को दोपहर के समय हम अपने पूर्वज को जल अर्पण करते हैं और उन्हें भोजन करते हैं। ताकि वे खुश होकर हम पर अपना आशीर्वाद बना कर रखें। और जब हम उन्हें जल अर्पण करते हैं तो उसे जल में तिल मिला लेते हैं। और उसे दिन जितना हो सके उतना गरीबों को दान करते हैं ताकि हमारे पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो सके। और उन्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त हो। खैर हमने आपको पितृपक्ष के बारे में पूरी जानकारी दे दी। अब बात करते हैं कि क्या एक पति अपने पत्नी को जल अर्पण कर सकता है तो मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि यदि उसे पति के पत्नी की मृत्यु हो जाती है तो वह पति अपने पत्नी को जल अर्पण कर सकता है। और यदि जिनकी पत्नी जिंदा होती है उन लोगों को जल अर्पण नहीं किया जाता है। क्योंकि मरे हुए लोगों को ही जल अर्पण किया जाता है ना कि जिंदा लोगों को। इसलिए जब भी किसी पति की पत्नी खत्म हो जाए तो पितृपक्ष के समय उस पति को अपने पत्नी के लिए जल अर्पण अवश्य करना चाहिए। ताकि उनकी पत्नी को मोक्ष की प्राप्ति हो और आपकी पत्नी हमेशा आपका ध्यान रखें।
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