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भारतीय राजव्यवस्था के लिए यह सबसे बड़ी त्रासदी बन चुकी है कि किसी भी पार्टी की सरकार हो, वह केंद्रीय एजेंसियों को अपना तोता बना लेती है। अपने राजनीतिक विरोधियों को पस्त करने के लिए उनके पीछे केंद्रीय एजेंसियों को लगा दिया जाता है। मध्य प्रदेश में सीएम कमलनाथ के करीबियों के पीछे इनकम टैक्स विभाग की रेड भाजपा के लिए घाटे का सौदा साबित होता हुआ दिख रहा है।
मध्य प्रदेश में हुई इस छापेमारी के बाद जनता के मन में कमलनाथ के प्रति सहानुभूति लहर पैदा हो सकती है, जो भाजपा के लिए परेशानी पैदा कर सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मध्य प्रदेश की 29 में 27 सीटों पर कब्जा किया था। ऐसा माना जा रहा था कि हर सूरत में कांग्रेस की सीटें बढ़ेंगी और भाजपा की घटेंगी। देश की राजनीति का मूड भांपने वाले कहने लगे हैं कि भाजपा ने चुनाव से ठीक पहले सेल्फ गोल कर लिया है। मध्य प्रदेश में अब कांग्रेस डबल डिजिट में पहुंच सकती है।
आपको यह जानना जरुरी है कि कमलनाथ राजनीतिज्ञ के साथ साथ उद्योगपति भी हैं. कांग्रेस के लिए कॉरपोरेट जगत से चंदा जुटाने का काम फिलहाल वही देख रहे हैं। इस बात की भनक सबको लग रही थी कि कांग्रेस के लिए पैसे जुटाने का काम कमलनाथ के करीबी प्रवीण कक्कड़ और मिगलानी कर रहे हैं। किसी तरह से ये पैसे कांग्रेस उम्मीदवारों तक न पहुंच सके, इसके लिए छापेमारी की कार्रवाई हुई। राजनीति की थोड़ी भी समझ रखने वाला व्यक्ति इस गणित को समझता है। अब तो प्रतिक्रियावश सवाल भाजपा पर भी उठेंगे. प्रचार के लिए भाजपा जिस तरह बेहिसाब अरबों रुपये फूंक रही है, वो पैसे कहां से आ रहे हैं, उन्हें इसका जवाब देना पड़ सकता है।
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