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Ruchika Dutta

Teacher | Posted on | Astrology


बलराम के बारे में वर्णन करें क्यों बनें वह कृष्ण के बड़े भाई ?


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Media specialist | Posted on


कृष्ण जन्माष्टमी आते ही चारो तरफ मंदिरों में रौनक लग जाती है और रौशनी से लबालब मंदिर कृष्ण भक्ति का रंग छलकाने लगते है ऐसे में एक सवाल तो आता ही है, की उनके भाई बलराम कौन थे, जिन्हें बलदाऊ या हलधर के नाम से भी जाना जाता है|
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आपको बता दें की कृष्ण को विष्णु तो बलराम को शेषनाग का अवतार माना जाता है और यहाँ ता की ऐसा कहते हैं कि जब कंस ने देवकी-वसुदेव के छ: पुत्रों को मार डाला, तब देवकी के गर्भ में भगवान बलराम पधारे। योगमाया ने उन्हें आकर्षित करके नन्द बाबा के यहां निवास कर रही श्री रोहिणीजी के गर्भ में पहुंचा दिया। इसलिए उनका एक नाम संकर्षण पड़ गया था |
जब बलराम जी का विवाह रेवती से हुआ था तब बलवानों में श्रेष्ठ होने के कारण उन्हें बलभद्र भी कहा जाने लगा | और इनके नाम से मथुरा में दाऊजी का प्रसिद्ध मंदिर है। जगन्नाथ की रथयात्रा में इनका भी एक रथ होता है। यह गदा धारण किये हुए उसमें शोभित होते है |
मौसुल युद्ध में यदुवंश के संहार के बाद बलराम ने समुद्र तट पर आसन लगाकर देह त्याग दी थी। जरासन्ध को बलरामजी ही अपने योग्य प्रतिद्वन्द्वी जान पड़े। यदि श्रीकृष्ण ने मना न किया होता तो बलराम जी प्रथम आक्रमण में ही उसे यमलोक भेज देते।
यहाँ तक की महभारत में भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम ने श्रीकृष्ण को कई बार समझाया कि हमें युद्ध में शामिल नहीं होना चाहिए, क्योंकि दुर्योधन और अर्जुन दोनों ही हमारे मित्र हैं। ऐसे धर्मसंकट के समय दोनों का ही पक्ष न लेना उचित होगा। लेकिन कृष्ण को किसी भी प्रकार की कोई दुविधा नहीं थी। उन्होंने इस समस्या का भी हल निकाल लिया था। उन्होंने दुर्योधन से ही कह दिया था कि तुम मुझे और मेरी सेना दोनों में से किसी एक का चयन कर लो। दुर्योधन ने कृष्ण की सेना का चयन किया।
महाभारत में वर्णित है कि जिस समय युद्ध की तैयारियां हो रही थीं और उधर एक दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम, पांडवों की छावनी में अचानक पहुंचे। दाऊ भैया को आता देख श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर आदि बड़े प्रसन्न हुए। सभी ने उनका आदर किया। सभी को अभिवादन कर बलराम, धर्मराज के पास बैठ गए।


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