पैसे नहीं है? आपको फिर भी नए कपड़े खरीदने की जरूरत है।
मूर्ति के लिए पैसा और जगह नहीं है? फिर भी,खरीदो, आखिर शर्मा जी भी तो लाये हैं |
क्या यह यातायात को बाधित कर रहा है और नियमित जीवन को रोकने वाले लोगों को भी रोक रहा है? ऐसा कहकर आप धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाते हैं।
यह तब नहीं था जब मैं बढ़ी हो रही थी। उत्सव में ऐतिहासिक प्रासंगिकता थी। हम एक पारंपरिक और मापे गए तरीके से उत्साहित होते थे जो हमारे बजट, पसंद और मानदंडों के अनुसार होता था | यह उत्सव परिवार के साथ-साथ पड़ोस के लोगो के साथ हंसी ख़ुशी मनाया जाता था | खुशी छोटी छोटी चीज़ो से आती थी जैसे, सुबह सुबह उठना, आरती करना और मिठाई तैयार करना।
आज, दुर्गा पूजा के हर पहलू को भौतिक चीज़ो पर आधारित कर दिया गया है | जोकि बेकार है!
नवरात्रि में डांडिया खेलना एक सेल्फी गेम बन गया है। पिछले साल, मैंने सचमुच डांडिया से ज़्यादा लोगो के हाथ में फ़ोन देखा । कुछ लोग ऐसे थे जो अपना ही लाइव टेलीकास्ट करने में लगे हुए थे |
मैं इस साल के लिए पहले से ही डर रही हूँ। Musically और Tik-tok मुख्यधारा में चल रहा है। मुझे डर है की यह किशोर, पंडाल और डांडिया के साथ जाने क्या दृश्य प्रस्तुत करते दिखेंगे |
आजकल सब इसी के आधार पर होता है कि हम दूसरों की तुलना में क्या कर रहे हैं, हम दुसरो से अच्छे दिख रहे हैं या नहीं, और हमारी फोटो और वीडियो को कितने पसंद / दिल मिलते हैं।
यह किशोर और 20 के दशक के बच्चे अपनी इंस्टा परफेक्ट फोटो के अलावा यह कभी नहीं समझ सकते कि इन पंडालों की खूबसूरती कितनी मनमोहक है | वे मित्रों और अजनबियों के साथ डांडिया खेलने की खुशी कभी नहीं जान पाएंगे। वह खान- पान और फोटो खींचने के इस दशक में कभी भी रात भर अपने परिवार के साथ नाचने गाने की ख़ुशी महसूस नहीं कर पायंगे |
वे फल्गुनी पाठक के गीत सुनकर संगीत और नृत्य के रोमांच का, उसमे घुल जाने का उत्साह नही जान पायंगे |
हर पहलू से, वाणिज्यिक, आध्यात्मिक और अधिक तरहों से, जिस तरह से हम नवरात्रि और दुर्गा पूजा का जश्न मनाते हैं, वह बहुत बदल गया है।
देखिये, मैं उन बढ़े लोगो में से एक नहीं हूँ जो "इन युवा बच्चों" के बारे में शिकायत करते हैं। मैं नहीं हूँ ! मैं "मज़ा" की अपनी परिभाषा को दंडित नहीं कर रही हूं। मैं समझ चुकी हूँ कि यह सिर्फ इतना है कि, जब तुलना की जाये तो मैं एक दशक पहले नवरात्रि और दुर्गा पूजा के दौरान महसूस किए गए अनुभवों को दोबारा जीने के लिए सब कुछ न्योछावर करदूंगी । वह सब बहुत शुद्ध बहुत पारम्परिक था |
हालांकि चीज़े खराब नहीं है । त्यौहार तो त्यौहार हैं। उत्सव मनाने का तरीका पुराना हो या नया, हमेशा मजेदार होता है। और शायद मै भी डांडिया के बीच एक दो सेल्फी ले लुंगी ;)
Translated from English by Team Letsdiskuss