मुगलो ने कई ऐसे नियम और कानूनों को बनाया था जिससे सभी लोग सहमत नही थे। उन्ही मे से एक था जजिया कर । जजिया कर मुगलो के शासक मोहमद बिन कासिम ने शुरू किया था। यह कर उन लोगो से लिया जाता था जो मुस्लिम नही थे यानी उनका धर्म मुस्लिम ना होकर हिंदू , यहुदी और ईसाई था।
यह कर एक परिवार मे रहने वाले प्रत्येक सदस्य को देना होता है। जैसे एक परिवार मे चार लोग है तो उन सभी चारो लोगो को जजिया कर देना होता है।
इस जजिया कर से मुगल अपनी सैनिक सुरक्षा को बढ़ाते थे और गैर मुस्लिमो जिन से जजिया कर वसूला गया है उन्हे सुरक्षा का आश्वासन दिया जाता था।
लेकिन मुगलो की एक रण नीति थी इस जजिया कर के पीछे वह अपने इस्लाम धर्म का प्रचार और प्रसार करना चाहते थे। उनका मानना था की जब तक गैर मुस्लिमो के पास जजिया कर चुकाने की रकम है तब तक वह सुरक्षित है जैसे ही वह गरीब हो जायेंगे धर्म परिवर्तन के लिए राजी हो जायेंगे या मृत्यु को गले लगा लेंगे।
दोनो ही पक्षो मे जीत मुगलो की ही होनी है। कई बार इस कर को हटाया गया लेकिन दिल्ली के शासको के बदलाव के साथ ही इसे फिर से लागू भी कर दिया गया।
यह पूर्णतः मुगलो के शासन समाप्त होने के साथ ही खत्म हुआ।
जजिया कर को समाप्त करने मे अकबर का नाम पहले आता है । अकबर ने अपने शासन काल मे इस कर को पूरी तरह खत्म कर दिया था लेकिन औरंगजेब ने दिल्ली का शासक बनते ही इस कर को फिर से लागू कर दिया था। औरंगजेब को सबसे क्रूर राजा का तर्जा प्राप्त है । उसने हिंदुओ पर और भी कई सारे करो को लागू किया हुआ था। जिससे गैर मुस्लिम धर्म जैसे हिंदू, यहूदि और ईसाई औरंगजेब से नाखुश थे।
