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shweta rajput

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ऐसे हिन्दू शासक जो बहुत ही कट्टर थे ?


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पुष्यमित्र शुंग या पुष्यमित्र शुंग शुंग वंश के संस्थापक थे और उन्होंने ही मौर्य वंश का अंत किया था। उन्होंने 185 ईसा पूर्व से 149 ईसा पूर्व (1218 से 1158 ईसा पूर्व नए अनुवादों के अनुसार) के बीच शासन किया। वह अंतिम मौर्य शासक बृहद्रथ मौर्य के शासन में एक सेना कमांडर थे। फिर एक सेनापति कैसे राजा बन गया? इस तरह के कुछ नाटकीय प्रसंगों से इतिहास हमें हमेशा चकित करता है। महान मौर्य साम्राज्य जिसने चंद्रगुप्त मौर्य, बिंदुसार और अशोक जैसे महान शासकों को देखा, बाद में एक सेना कमांडर द्वारा कब्जा कर लिया गया था। आइए देखें कि ऐसा कैसे हुआ।


पुष्यमित्र का सिंहासन पर कब्जा:


अशोक के शासन के बाद, मौर्य साम्राज्य के अन्य सभी राजा राज्य के विघटन को रोकने में विफल रहे और इसके परिणामस्वरूप मौर्य साम्राज्य का पतन हुआ। मौर्य साम्राज्य के अंतिम शासक, बृहद्रथ मौर्य अशोक के रूप में एक प्रभावी शासक नहीं थे। उनके शासन के दौरान, विभिन्न उप-राज्यों जैसे अश्माका (महाराष्ट्र), कलिंग (उड़ीसा), मद्रा, केकया, गांधार (अब पाकिस्तान में) ने मगध साम्राज्य से स्वतंत्रता की घोषणा की। उसके ऊपर, पाटलिपुत्र (पटना, बिहार) पर शासन करने वाले मौर्य राजा, सदियों पुरानी वैदिक जीवन शैली या सनातन धर्म (हिंदू धर्म) की उपेक्षा करते हुए बौद्ध धर्म का समर्थन और तुष्टिकरण कर रहे थे। इसने पुरानी वैदिक जीवन शैली का समर्थन करने वाले लोगों को क्रोधित कर दिया, जो जनसंख्या के मामले में बहुसंख्यक थे। यह सब 185 ईसा पूर्व में अंतिम मौर्य राजा बृहद्रथ के शासनकाल के दौरान एक नाटकीय और चौंकाने वाली घटना के रूप में हुआ।

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जिसके माथे पर तिलक ना दिखे, उसका सर धड़ से अलग कर दो-- पुष्यमित्र शुंग

एक महान क्रांतिकारी हिन्दू राजा

यह बात आज से 2100 साल पहले की है। एक किसान ब्राह्मण के घर एक पुत्र ने जन्म लिया, नाम रखा गया पुष्यमित्र...........

पूरा नाम पुष्यमित्र शुंग
और वो बना एक महान हिन्दू सम्राट जिसने भारत को बुद्ध देश बनने से बचाया। अगर ऐसा कोई राजा कम्बोडिया, मलेशिया या इंडोनेशिया में जन्म लेता तो आज भी यह देश हिन्दू होते।

जब सिकन्दर ब्राह्मण राजा पोरस से मार खाकर अपना विश्व विजय का सपना तोड़ कर उत्तर भारत से शर्मिंदा होकर मगध की और गया था उसके साथ आये बहुत से यवन वहां बस गए। अशोक सम्राट के बुद्ध धर्म अपना लेने के बाद उनके वंशजों ने भारत में बुद्ध धर्म लागू करवा दिया। ब्राह्मणों के द्वारा इस बात का सबसे अधिक विरोध होने पर उनका सबसे अधिक कत्लेआम हुआ। हज़ारों मन्दिर गिरा दिए गए। इसी दौरान पुष्यमित्र के माता पिता को धर्म परिवर्तन से मना करने के कारण उनके पुत्र की आँखों के सामने काट दिया गया। बालक चिल्लाता रहा मेरे माता पिता को छोड़ दो। पर किसी ने नही सुनी। माँ बाप को मरा देखकर पुष्यमित्र की आँखों में रक्त उतर आया। उसे गाँव वालों की संवेदना से नफरत हो गयी। उसने कसम खाई की वो इसका बदला बौद्धों से जरूर लेगा और जंगल की तरफ भाग गया।

एक दिन मौर्य नरेश बृहद्रथ जंगल में घूमने को निकला। अचानक वहां उसके सामने शेर आ गया। शेर सम्राट की तरफ झपटा। शेर सम्राट तक पहुंचने ही वाला था की अचानक एक लम्बा चौड़ा बलशाली भीमसेन जैसा बलवान युवा शेर के सामने आ गया। उसने अपनी मजबूत भुजाओं में उस मौत को जकड़ लिया। शेर को बीच में से फाड़ दिया और सम्राट को कहा की अब आप सुरक्षित हैं। अशोक के बाद मगध साम्राज्य कायर हो चुका था। यवन लगातार मगध पर आक्रमण कर रहे थे। सम्राट ने ऐसा बहादुर जीवन में ना देखा था। सम्राट ने पूछा

” कौन हो तुम”।

जवाब आया ” ब्राह्मण हूँ महाराज”।

सम्राट ने कहा “सेनापति बनोगे”?

पुष्यमित्र ने आकाश की तरफ देखा, माथे पर रक्त तिलक करते हुए बोला “मातृभूमि को जीवन समर्पित है”। उसी वक्त सम्राट ने उसे मगध का उपसेनापति घोषित कर दिया।जल्दी ही अपने शौर्य और बहादुरी के बल पर वो सेनापति बन गया। शांति का पाठ अधिक पढ़ने के कारण मगध साम्राज्य कायर ही चूका था। पुष्यमित्र के अंदर की ज्वाला अभी भी जल रही थी। वो रक्त से स्नान करने और तलवार से बात करने में यकीन रखता था। पुष्यमित्र एक निष्ठावान हिन्दू था और भारत को फिर से हिन्दू देश बनाना उसका स्वपन था।

आखिर वो दिन भी आ गया। यवनों की लाखों की फ़ौज ने मगध पर आक्रमण कर दिया। पुष्यमित्र समझ गया की अब मगध विदेशी गुलाम बनने जा रहा है। बौद्ध राजा युद्ध के पक्ष में नही था। पर पुष्यमित्र ने बिना सम्राट की आज्ञा लिए सेना को जंग के लिए तैयारी करने का आदेश दिया। उसने कहा की इससे पहले दुश्मन के पाँव हमारी मातृभूमि पर पड़ें हम उसका शीश उड़ा देंगे। यह नीति तत्कालीन मौर्य साम्राज्य के धार्मिक विचारों के खिलाफ थी। सम्राट पुष्यमित्र के पास गया। गुस्से से बोला ” यह किसके आदेश से सेना को तैयार कर रहे हो”। पुष्यमित्र का पारा चढ़ गया। उसका हाथ उसके तलवार की मुठ पर था। तलवार निकालते ही बिजली की गति से सम्राट बृहद्रथ का सर धड़ से अलग कर दिया और बोला ”

"ब्राह्मण किसी की आज्ञा नही लेता”।

हज़ारों की सेना सब देख रही थी।

पुष्यमित्र ने लाल आँखों से सम्राट के रक्त से तिलक किया और सेना की तरफ देखा और बोला

“ना बृहद्रथ महत्वपूर्ण था, ना पुष्यमित्र, महत्वपूर्ण है तो मगध, महत्वपूर्ण है तो मातृभूमि, क्या तुम रक्त बहाने को तैयार हो??”...........

उसकी शेर सी गरजती आवाज़ से सेना जोश में आ गयी। सेनानायक आगे बढ़ कर बोला “हाँ सम्राट पुष्यमित्र । हम तैयार हैं”। पुष्यमित्र ने कहा” आज मैं सेनापति ही हूँ।चलो काट दो यवनों को।”।जो यवन मगध पर अपनी पताका फहराने का सपना पाले थे वो युद्ध में गाजर मूली की तरह काट दिए गए। एक सेना जो कल तक दबी रहती थी आज युद्ध में जय महाकाल के नारों से दुश्मन को थर्रा रही है। मगध तो दूर यवनों ने अपना राज्य भी खो दिया। पुष्यमित्र ने हर यवन को कह दिया की अब तुम्हे भारत भूमि से वफादारी करनी होगी नही तो काट दिए जाओगे।

इसके बाद पुष्यमित्र का राज्यभिषेक हुआ। उसने सम्राट बनने के बाद घोषणा की अब कोई मगध में बुद्ध धर्म को नही मानेगा। हिन्दू ही राज धर्म होगा। उसने साथ ही कहा

“जिसके माथे पर तिलक ना दिखा वो सर धड़ से अलग कर दिया जायेगा”।

उसके बाद पुष्यमित्र ने वो किया जिससे आज भारत कम्बोडिया नही है। उसने लाखों बौद्धों को मरवा दिया। बुद्ध मन्दिर जो हिन्दू मन्दिर गिरा कर बनाये गए थे उन्हें ध्वस्त कर दिया। बुद्ध मठों को तबाह कर दिया। चाणक्य काल की वापसी की घोषणा हुई और तक्षिला विश्विद्यालय का सनातन शौर्य फिर से बहाल हुआ।

शुंग वंशवली ने कई सदियों तक भारत पर हुकूमत की। पुष्यमित्र ने उनका साम्राज्य पंजाब तक फैला लिया।

इनके पुत्र सम्राट अग्निमित्र शुंग ने अपना साम्राज्य तिब्बत तक फैला लिया और तिब्बत भारत का अंग बन गया। वो बौद्धों को भगाता चीन तक ले गया। वहां चीन के सम्राट ने अपनी बेटी की शादी अग्निमित्र से करके सन्धि की। उनके वंशज आज भी चीन में “शुंग” उपनाम ही लिखते हैं।

पंजाब- अफ़ग़ानिस्तान-सिंध की शाही ब्राह्मण वंशवली के बाद शुंग शायद सबसे बेहतरीन ब्राह्मण साम्राज्य था। शायद पेशवा से भी महान।

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शिवाजी महाराज जिनका हमेशा सपना रहा अपने देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का


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शिवा जी महाराज


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शिवा जी महाराज और महाराणा प्रताप


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समुंद्रगुप्त


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पुष्यमित्र मूलतः मौर्य साम्राज्य का सेनापति "जनरल" था। 185 ईसा पूर्व में उन्होंने अंतिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ मौर्य की एक सेना की समीक्षा के दौरान हत्या कर दी और खुद को सम्राट घोषित कर दिया।

पुष्यमित्र ने अपने शासन के अधिकार को वैध बनाने के लिए कई अश्वमेध अभियान किए हैं।

शुंगों के शिलालेख अयोध्या (धनदेव-अयोध्या शिलालेख) के रूप में पाए गए हैं, और दिव्यवदना का उल्लेख है कि उन्होंने उत्तर पश्चिम में पंजाब क्षेत्र में सकला (सियालकोट) के रूप में बौद्ध भिक्षुओं को सताने के लिए एक सेना भेजी थी।

बौद्ध ग्रंथों में कहा गया है कि पुष्यमित्र ने बौद्धों पर अत्याचार किया, हालांकि कुछ आधुनिक विद्वानों ने इन दावों पर संदेह व्यक्त किया है।



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पुष्पमित्र शंगु एक बहुत ही कट्टर हिन्दू राजाथा


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