हैदराबाद में हुए गैंगरेप की घटना ने तो मानो रूह को झंझोड़ दिया है, 27 नवम्बर की घटना ने पूरे देश में गुस्से को भड़का दिया,और जिसके तहत लोग सड़कों पर उतर आये । लोग हाथ में मोमबत्ती लिए हुए जस्टिस की मांग करते हुए सड़कों पर धरना देकर बैठ गए। जो दरिंदगी रेपिस्ट ने दिखाई उसके लिए मोमबत्ती नहीं बल्कि जलती हुई मशाल लेनी चाहिए थी, और उसकी आग से रेप करने वाले को जला कर ख़त्म कर देना चाहिए था।
ख़ैर यह तो हुई बात लोगों के अंदर के गुस्से की जिसके बाद हैदराबाद के आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा और उन पर कार्यवाही की। जहाँ भारतीय कानून किसी भी घटना के केस को कई साल तक चलाता रहता है, और उसके बाद कहीं जाकर सज़ा मिलती हैं, वही इस बार हैदराबाद में हुई रेप की घटना को लेकर बड़ा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया है। हैदराबाद पुलिस ने 6 दिसंबर शुक्रवार की सुबह रेप के अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराया।
एनकाउंटर नेशनल हाइवे-44 के पास देर रात हुआ । पुलिस के कहे अनुसार चारों आरोपियों को घटना स्थल पर "क्राइम सीन रिक्रिएट" करने के लिए ले जाया गया था और जहाँ उन्होंने भागने की कोशिश की और जिसके चलते कमिश्नर सज्जनार उर्फ़ एनकाउंटर मैन ने सभी आरोपियों का एनकाउंटर कर दिया और उन्हें यम के द्वार पर पहुंचा दिया।
जैसा कि हैदराबाद की इस घटना के बाद पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, और आरोपियों को मजिस्ट्रेट द्वारा न्यायिक हिरासत में लिया गया और उसके बाद पुलिस के मजिस्ट्रेड से आरोपियों को अपनी हिरासत में लेने की मांग की जो कि स्वीकार की गई और उसके बाद पुलिस ने सभी आरोपियों की अपनी हिरासत में लिया और जब यह घटना स्थल पर क्राइम सीन रिक्रिएट के लिए गए तो वहां सभी आरोपी अपनी भागने की नाकामयाब कोशिश के साथ पुलिस की गोलियों के शिकार हो गए ।
न्यायिक हिरासत का अर्थ :-
न्यायिक हिरासत के अंतर्गत मजिस्ट्रेट अपनी अनुमति से ही आरोपी को जेल भेजता है और अगर इस बीच पुलिस आरोपी से कुछ सवाल या किसी भी प्रकार की कोई पूछताछ करना चाहे तो पुलिस को पहले मजिस्ट्रेट से अनुमति लेना जरुरी होता है ।
कुछ भी कहा जाए इस घटना को, बेशक यह दुर्घटना ही सही या फिर आरोपी द्वारा खुद के बचने की एक नाकामयाब कोशिश, पर जो हुआ वह सच में एक अच्छा और सुकून भरा जस्टिस है । अगर जस्टिस इसी तरह से मिलता रहा तो शायद रेप जैसी घटना हमेशा के लिए बंद हो जाएगी ।
(Courtesy : The muslim times )