चलिए जानते हैं कि इस वर्ष जन्माष्टमी के दिन आप कैसे भगवान श्री कृष्ण जी को प्रसन्न करने के लिए उनका व्रत और पूजन कर सकते हैं।
भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के दिन बहुत से श्रद्धालु भक्त व्रत रखकर कान्हा जी की पूजा करते हैं। मैं आपको बता दूं कि इस दिन व्रत रखने के क्या नियम है और श्री कृष्ण की पूजा की विधि क्या है इसकी भी जानकारी देने वाली हूं।
भगवान श्री कृष्ण जी का पूजन और व्रत करना वृतियों के लिए बहुत ही पुण्यदायी होता है। तो चलिए जानते हैं कि आप किस तरह से भगवान श्री कृष्ण जी की पूजन कर सकते हैं और व्रत रखने के नियम क्या है।
यहां पर मैं आपको बताने वाली हूं कि आप किस तरह से जन्माष्टमी का व्रत रख सकते हैं।
मैं आपको बता दूं कि जिस तरह एकादशी के व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से होती है इस तरह जन्माष्टमी के व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से हो जाती है। जन्माष्टमी वाले दिन तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए, और फिर सात्विक भोजन करने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। जन्माष्टमी वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान ध्यान कर लेना चाहिए।
स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहने और जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का मंत्र जाप करना चाहिए।
जन्माष्टमी वाले दिन आप फलाहार और जलहर व्रत रख सकते हैं।
लेकिन हां सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म तक निर्जल रहना होता है।
ध्यान रहे की व्रत के दौरान सात्विक रहना चाहिए।
और शाम के समय पूजा से पहले एक बार स्नान जरूर करना चाहिए।
यहां पर हम आपको बताएंगे कि आप जन्माष्टमी की पूजा कैसे कर सकते हैं।
ऐसी मान्यता है की जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा अर्चना मध्य रात में करनी चाहिए। जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हुए भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की आराधना करनी चाहिए। मूर्ति स्थापना के बाद उनका गाय के दूध और गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद भगवान जी को मनमोहन वस्त्र पहनाना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण जी को मिठाई, मेवे,धूप, दीप, गंध आदि चीज अर्पित करें। और फिर अंत में बाल श्री कृष्णाण की आरती करने के बाद प्रसाद का बंटवारा करना चाहिए।
