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संकष्टी चतुर्थी हिंदुओं के प्रमुख त्यौहार में से एक है यह व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है संकष्टी चतुर्थी को तिलकुट चौथी और तिल चौथ के नाम से भी जाना जाता है। भगवान श्री गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है संकट चौथ का व्रत स्त्रियां अपने संतान के दीर्घायु के लिए करती है साथ ही भगवान गणेश उन पर आने वाली सभी बिघ्न बाधाओं को दूर करने में मदद करते हैं और उस पर अपनी दृष्टि सदैव बनाए रखते हैं इसलिए हमारे हिंदू धर्म में इस व्रत का बहुत महत्व है।
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हिन्दू धर्म में जितनी भी पूजा की शुरुआत होती है सब में सबसे पहले भगवान गणेश का आवाहन किया जाता है| संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश का पूजन होता है| संकष्टी चतुर्थी पर गणपति जी का पूजन करने से सारे संकट दूर हो जाते हैं|
संकष्टी चतुर्थी का व्रत विशेष तौर पर बच्चे की लम्बी उम्र और सुखद भविष्य के लिए लिया जाता है| संकट चतुर्थी चैत्र मास की चतुर्थ तिथि को मनाया जाता है| इस व्रत की ऐसी मान्यता मानी जाती है कि इस व्रत से संतान की सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं|
(इमेज -गूगल)
संकष्टी चतुर्थी को वक्रकुंडी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है| इस दिन भगवान गणेश और चंद्रमा का पूजन करने से आपकी सारी मनोकामना पूरी हो जाती है| इस वर्ष संकष्टी चतुर्थी 11 वर्ष 2020 को पड़ रही है|
आइये आपको बताते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का पूजन करने की आसन विधि:
· गणेश जी को को दूर्वा (घास) बहुत पसंद है तो इनकी पूजा में दूर्वा का प्रयोग जरुर करें| संकष्टी चतुर्थी के दिन दूर्वा चढ़ाने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं|
· संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा पुरी विधि-विधान करना चाहिए, भगवान गणेश के पूजन में उनके सामने घी का दीपक जरूर जलाएं|
· संकष्टी चतुर्थी के दिन साबूत हल्दी की गांठ गणेश जी को अर्पित करें, ऐसा करने से आपकी वर्तमान में चल रही सभी परेशानियां दूर होती हैं|
· भगवान गणेश जी को मोदक और लड्डू बहुत प्रिय हैं, इसलिए चतुर्थी तिथि के दिन इन्हें मोदक का भोग जरुर लगाएं| ऐसा करने से जीवन में सुख समर्धि आती है|
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संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखते है तो सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं।इसके बाद घर के मंदिर में गणेश जी की स्थापना करने के बाद घी का दीपक जलाएं
फिर गणेश जी का ध्यान करते हुये आह्वन करें।
इसके बाद गणेश जी क़ो सबसे पहले जल से, फिर पंचामृत से स्नान करवाए,फिर गणेश जी के मंत्र तथा चालीसा का जाप करे।
इसके बाद गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर, चंदन, फूल और फूलों की माला चढ़ाये,इसके बाद गणेश जी की आरती करे और उसके बाद गणेश जी क़ो मोदक का भोग लगाए, इस तरह से संकष्टी चतुर्थी की पूजा सम्पन्न होती है और व्रत मे फलाहारी के रूप मे दूध, केला, सेब, अंगूर तथा मीठा खा सकते है।
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