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क्या रिस्क लेना ही सट्टेबाजी होती है? रिस्क और सट्टे बाज़ी में क्या अंतर है?


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रिस्क जिसे हम जोखिम भी कहते है। जोखिम को वैसे तो परिणाम, निवेश जैसे स्थान पर प्रयोग किया जाता है। लेकिन अगर हम सट्टेबाजी की बात करें तो यह बात बिलकुल सटीक बैठती है। सट्टा उन लोगों के बीच लोकप्रिय है जो आसान पैसा बनाने में रुचि रखते हैं। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि पैसा आज दुनिया को चला रहा है। लोग हमेशा लाभ के लिए कामयाब होते हैं, और पैसा कमाना जितना आसान होता है, उतना ही अच्छा होता है। सट्टेबाजी में रिस्क हमेशा रहता है। प्रत्येक व्यक्ति को रोजाना किसी न किसी प्रकार के जोखिम का अनुभव होता है।

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आइये अब हम इसे उदाहरण के माध्यम से समझते है। दोस्त, मान लीजिये अगर आपके पास कुछ पैसे है तो आप उसे दो प्रकार से प्रयोग में ला सकते है। पहला यह कि या तो आप उस पैसे से कुछ ऐसी चीज खरीद लें, जो आगे चलकर अच्छे दाम में बिक सके। लेकिन इसमें रिस्क है , अब आप सोच रहें होंगे कि इसमें कौन सा रिस्क तो आपको बता दूँ कल को वो सामान आपके हिसाब से न बिकी तो क्या होगा।

वहीँ दूसरा रास्ता यह है कि आप उस पैसे से लॉटरी के टिकट लें और हार जाइये यह सट्टे में आता है। जो चीजे हम जानते हुए भी करें वह सट्टे की श्रेणी में आती है। हमें अक्सर सट्टे वाली चीजों से दूर रहना चाहिए न की रिस्क वाली चीजों से। रिस्क यानि एक बहुत ही जोखिम भरा कदम उठाना। दोनों अलग अलग आंसर है….. जहाँ परिवार की बात आये भाई या बहन की शादी अंजान जगह करनी हो या किसी अंजान रास्ते पर चले जाना.. ये भी रिस्क होता है। सट्टा खेलते हुए सब कुछ हार जाने के बाद भी सट्टा खेलते रहना .. ये बहुत बड़ा रिस्क होता हैकभी भी रिस्क इंसान को सोच समझ कर लेना चाहिए…मेने अपनी बिटिया की शादी एक अंजान घर परिवार मे की मेने भी रिस्क लिए लेकिन मे कामयाब रहा क्यों की मेरी बिटिया की शादी अच्छे परिवार मे अच्छे घर मे हुई.. लेकिन सट्टा मे खेलता नहीं तो तो मे सट्टे पर क्यों रिस्क लूं ?


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