जीवन में आध्यात्मिक होना अलग बात है, वहीं सफल होना अलग बात है | मनुष्य की ज़िंदगी में कई ऐसे उतार चढ़ाव आते है, जब उसको ये समझ नहीं आता की वो अपनी ज़िंदगी से क्या चाहता है | आध्यात्मिक इंसान कोई अलग नहीं होते वो भी आपकी और हमारी तरह ही होते हैं, इंसान के रूप में ही जन्म लेते हैं |
मुझे नहीं लगता आध्यात्मिक लोग सफल होना नहीं चाहते | इस दुनिया में सभी लोग सफल होना चाहते है, पर कुछ लोग मेहनत और कुछ लोग बस बेवजह,परन्तु सफलता सभी को पसंद होती है | कभी-कभी अधिक आध्यात्मिक या आध्यात्मिक होना मनुष्य के हार की निशानी होती है |
जो लोग आध्यात्मिक होते है या यूँ कहें आध्यात्मिक होने का ढोंग करते हैं अक्सर दिखाते हैं कि उन्हें सफलता से कोई लेना देना नहीं है पर परदे के पीछे उनके अनुयायी पैसा बटोरते नज़र आते हैं | अब उदहारण के तौर पर माता के नाम पर घूमने वाले लोगो को ही देखिये, लाखो के जेवर पहनकर भी वह कहते हैं मैं तो गरीब हूँ | यहाँ तक की खुद को भगवान का रूप कहने वाले ढोंगी आज जेल की चक्की पीस रहे हैं | तो यह तो स्पष्ट है कि अध्यात्म का नकली चौला पहनने वाले लोग असल में धन संचित करने के रास्ते ही ताकते हैं |
आध्यात्मिक होना ग़लत नहीं होता, और वर्तमान समय में लोग सिर्फ आध्यात्मिक होने का दिखावा करते है | भगवान नहीं कहते कि मेरे लिए सारी दुनिया को छोड़ दो, भगवान ये तो बिल्कुल नहीं कहते कि मेरे लिए काम करना छोड़ दो और मेरी शरण में आ जाओ | आध्यात्मिक बनो पर इस धरती में आये हो तो अपने जन्म का कुछ तो फायदा आप औरों को दो | अपने लिए न सही औरों के लिए जियो | आध्यात्मिक होने का सही मतलब यही है, और वर्तमान में लोग अध्यात्म के नाम पर सोने के सिंहासनो पर विराजमान होने का ही स्वप्न देखते हैं |