ज्योतिष शास्त्र में चौघड़िया का बहुत ही बड़ा महत्व है | जब कोई काम को जल्दी से शुरू करना हो और सही महूर्त न मिल पा रहा हो तो चौघड़िया देख कर काम को करने का सही समय निकाला जाता है | चौघड़िया का अधिक महत्त्व भारत के पश्चिमी प्रदेशों में है। चौघड़िया में 24 घंटे हो 16 हिस्सों में बाटां गया है | हर सप्ताह के दिन और रात मिलाकर 112 मुहूर्त होते हैं। हिन्दू धर्म की यह हमेशा से मान्यता रही है, कि किसी भी काम को करने से पहले शुभ महूर्त देखना होता है |
चौघड़िया शब्द संस्कृत भाषा का एक शब्द है, जो कि चो और घड़िया दो अलग-अलग शब्दों से मिलकर बना है। जहाँ चौ का अर्थ होता है 'चार' और घड़िया का अर्थ होता है 'समय' |
चौघड़िया कुल मिलाकर 7 तरह के होते हैं - उद्वेग,अमृत,रोग,लाभ,शुभ,चर और काल। सब का अपना-अपना एक निश्चित स्वरुप होता है | कुछ शुभ और कुछ अशुभ होते हैं |
अमृत, शुभ और लाभ यह चौघड़िया के बहुत ही शुभ महूर्त होते हैं | उद्वेग, काल और रोग ये सभी अशुभ मुहूर्त होते हैं | सभी महूर्त का अपना-अपना समय होता है | चौघड़िया का महूर्त 12 घंटे दिन और 12 घंटे रात को होती है |
जितने भी चौघड़िया के महूर्त होते हैं, सबका अपना-अपना एक स्वामी ग्रह होता है | जैसे - उद्वेग का सूर्य, चर का शुक्र, लाभ का बुध, अमृत का चंद्र, काल का शनि, शुभ का गुरु, रोग का मंगल | यह सभी महूर्त के स्वामी ग्रह है |