
| Updated on June 27, 2023 | others
क्या आप अपनी ज़िंदगी को 4 पंक्तियों में समेट सकते हैं ?

@meetaliasiwal7437 | Posted on October 5, 2018
@madansingh6409 | Posted on October 5, 2018
चार पंक्तियों में अगर मै अपनी ज़िन्दगी व्यक्त करूँ तो वह पंक्तिया यह होंगी :-
हा बिल्कुल कर सकते है :
जन्म हुआ तो मॉ के बाहों में मिली ज़िन्दगी
पैर चले तो पाठशाला थी ज़िन्दागी
कद बड़ा तो मेरी साथी थी मेरी ज़िन्दगी
फिर क्या ज़िम्मेदारी में ही निकली मेरी ज़िन्दगी ।
लेकिन ज़िन्दगी को हमेशा खुशी से जीना चाइये ये सिर्फ 4 पल की होती है इसलिए हमेशा उत्साहित रhi
@nishkarshsiddharth8215 | Posted on October 5, 2018
जन्म हुआ तब माँ की भाहे थी ज़िन्दगी
चलना सिखा तब पाठशाला बनी ज़िन्दगी
बड़ा जब कद मेरा तब बनी मेरी साथी मेरी जिन्दगी
और जब दुनिया तकलीफ में भी सलाम करे हौसलो को आपके उसे कहते है ज़िन्दगी ।
अगर आपको मेरा उत्तर पसंद आया हो तो कृपया कर ऐसे ही हौसलो वाले पोस्ट पढ़िये मेरे ब्लॉग पर लिंक आपको मिल जाएगी नीचे
http://zindagimeriteacher.blogspot.com/2018/09/zindagi-meri-teacher-soch-aur-dar.html?m=1
@brijagupta1284 | Posted on October 6, 2018
@medhasinghkapoor4841 | Posted on October 6, 2018
हमने भी तेरे हर एक ग़म को
गले से लगाया है
है न !
वो जो चल न सके तो बैठ गए
फिर बैठे बैठे जो नींद लगी
हम नींदो में ज़िन्दगी भूल गए |
@kanchansharma3716 | Posted on November 8, 2018
हर वक़्त जो नया ग़म दे वो ज़िंदगी,
न दे जो सिर्फ जीने की उमीदें
जो मरने के लिए थोड़ी सी ज़मीन भी दे वो ज़िंदगी.............
@poojamishra3572 | Posted on December 11, 2018
ज़िंदगी पढ़ रही हूँ, अलग अलग तरीको से
कभी खूब सुर्खिया बटोर लेती हूँ,,
कभी गिर पड़ती हूँ धम्म से,
मै ज़िंदगी हूँ गिरती हूँ , टूटती हूँ ,संभल जाती हूँ
जैसे तैसे समझो कट हीजाती हूँ |
@rahulaobaraॉya6964 | Posted on December 13, 2018
कुछ न कहो फिर भी क्यों सहती है ये ज़िंदगी,
वक़्त बेवक्त एक आहट महसूस करता है ये दिल,
न जाने किस हद तक बदलेगी ये ज़िंदगी
@satindrachauhan2730 | Posted on December 26, 2018
वक़्त का तूफ़ान कभी थम नहीं सका
जब भी सोचा ज़िंदगी जिएंगे अब खुल के
तभी न जाने क्यों ज़िंदगी को ये सहन न हो सका........
जिंदगी को चार पंक्ति में समेटना थोड़ी मुश्किल है क्योंकि जिंदगी में इतने उतार और चढ़ाव आते हैं कि कुछ समझ में नहीं आता है कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए कभी जिंदगी में खुशी आती है तो कभी जिंदगी में गम आता है इस प्रकार जिंदगी में गम और खुशी का दौरा लगा रहता है लेकिन फिर भी मैं कोशिश करूंगी कि किन्हीं चार पंक्तियों में जिंदगी को कैसे समेटा जा सकता है।
कुछ इस तरह जिंदगी को 4 पंक्तियों में समेट सकते हैं जैसे कि हम आपको नीचे बताने जा रहे हैं :-
सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है फिर भी हर एक सत्य एक ही होगा।
