क्या अनुच्छेद 377 को खत्म करने के बाद समलैंगिकता समाज में स्वीकार की जाएगी ? - letsdiskuss
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Brij Gupta

Optician | Posted on | News-Current-Topics


क्या अनुच्छेद 377 को खत्म करने के बाद समलैंगिकता समाज में स्वीकार की जाएगी ?


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Delhi Press | Posted on


अनुच्छेद 377 को संविधान से हटा दिया गया है | लेकिन असली दुनिया इसके बारें में क्या सोचती है ?हमारा देश भी यूटोपिया में बदल गया है, क्योंकि भारत सरकार ने अंततः समलैंगिकता को क़ानूनी घोषित कर दिया है | अगर आप मुझसे पूछें, तो हम उस तरह के Utopian सपने के लिए अभी भी आगे बढ़ रहे हैं जो कि अविश्वासनीया है, जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता |

हाई कोर्ट का यह फैसला लगभग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को आरक्षण देने की तरह है। जिस तरह संवैधानिक रूप से, इन जातियों को स्वीकृति मिल तो जाती है | परन्तु सामाजिक रूप से इनसे सिर्फ घृणा ही की जाती है | जिसका अक्सर अनुसूचित जाति और जनजाति को सामना करना पड़ता है |

आज तक सभी लोगों ने ऐसे लोगों का मजाक उड़ाया है और "समलैंगिक", या "हिजरा" (नपुंसक) जैसे शब्दों को उनके लिए अपमानजनक शब्दों के रूप में इस्तेमाल किया है | यह सोशल कंडीशनिंग है जिसका हम उपयोग करते हैं।

ये सही है या नहीं इसके बारें में कुछ भी कहना अभी सही नहीं |


Letsdiskuss


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Marketing Manager (Nestle) | Posted on


समलैंगिक के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया कि समलैंगिकता अब अपराध नहीं है। CJI दीपक मिश्रा ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि, "समलैंगिकों को भी सम्मान के साथ जीने का पूरा अधिकार है |


ध्यान देने वाली बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट होमोसेक्‍सुअल्‍टी को अपने फैसले में क्रिमिनल एक्‍ट करार दे चुका था | यह मामला काफी चर्चा में भी रहा और काफी विवादों में भी |

आइये जानते हैं 377 से जुड़ी कुछ ख़ास बातें -

- 377 एक्ट के तहत दो लोग आपस में Immunological relationship बनाएं तो उन्हें 10 साल की सजा देने का नियम था |

- इस एक्ट का विरोध नाज फाउंडेशन ने हाईकोर्ट में इस इस बात का विरोध करते हुए कहा कि "अगर दो एडल्‍ट आपसी सहमति से एकांत में सेक्‍सुअल संबंध बनाते है तो उसे धारा 377 के प्रावधान से बाहर किया जाना चाहिए "

- 2 जुलाई 2009 को हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया जिसके चलते यह निर्धारित हुआ कि 377 के प्रावधान को बहार किया जाएगा |



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