Cashier ( Kotak Mahindra Bank ) | Posted on | Science-Technology
Software engineer at HCL technologies | Posted on
विदेशी ईवीएम से भारत की मशीनें अलग है ,क्योंकि विदेशी ईवीएम जहां नेटवर्क से जुड़ी होती हैं वहीं भारतीय मशीनें बिल्कुल ऑफलाइन कार्य करती हैं | चुनावों के नतीजे आते ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है | चुनाव आयोग इस आशंका को हमेशा खारिज करता रहा है | विदेशी ईवीएम भारत की मशीनो से जुड़ा है , क्योंकि बाहर की ईवीएम जहां नेटवर्क से जुड़ी होती हैं तो भारतीय मशीनें बिल्कुल ऑफलाइन चलती हैं | ईवीएम नेटवर्क से जुड़ी नहीं होगी तो उसमें छेड़छाड़ की संभावना नहीं बनती | इसलिए EVM को हैक करना मुश्किल हो जाता है |
ईवीएम दो सरकारी कंपनियां-भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया बनाती हैं | जबकि माइक्रोचिप बनाने वाली कंपनियों को मशीन देने से पहले उसमें सॉफ्टवेयर प्रोग्राम को कोड भाषा में डाल दिया जाता है | बाद में डाले गए सॉफ्टवेयर की पूरी निगरानी में जांच होती है | चुनावी इलाकों में मशीनें भेजी जाती हैं जिसमें अल्फाबेट क्रम में उम्मीदवारों के नाम और चिन्ह डाले जाते हैं | मशीन बनाने के स्तर पर गड़बड़ी तभी होगी जब ईवीएम में पहले से कोई ट्रोजन हो जो किसी खास उम्मीदवार को वोट ट्रांसफर कर दे |
ऐसा होना संभव नहीं है क्योंकि कौन सी मशीन किस इलाके में भेजी जाएगी और वहां किस उम्मीदवार का नाम किस क्रम में होगा, यह तय नहीं होता | अब तो वीवीपैट मशीनें भी आने लगी हैं जिससे वोटर अपना वोट कहां दिया, इसे जान सकते हैं |
मशीनों को मतदान में भेजने से पहले कई काम होते हैं -
- मशीनों को साफ किया जाता है, रिजल्ट क्लियर किए जाते हैं, स्विच, बटन और केबल की पूरी जांच होती है |
- मशीनें जाने से पहले मॉक मतदान किया जाता है | 16 कैंडिडेट के बटन को दबाकर एक-एक वोट की जांच होती है | अगर वीवीपैट का प्रयोग हुआ है तो हर एक कैंडिडेट के लिए छह वोट दिए जाते हैं और रिजल्ट की जांच होती है |
- रैंडम टेस्ट के तहत 5 फीसद मशीनों की जांच की जाती है | लगभग एक हजार वोट देकर रिजल्ट के प्रिंटआउट अलग-अलग पार्टियों के प्रतिनिधियों को भेजे जाते हैं |
- मशीन के बैलट पेपर स्क्रिन में उम्मीदवारों के नाम, चुनाव चिन्ह, पार्टी के नाम आदि डालकर बैलट यूनिट को बंद कर दिया जाता है |
- बैलट यूनिट को कंट्रोल यूनिट से जोड़ दिया जाता है | कंट्रोल यूनिट को खोलकर कैंडिडेट सेट बटन दबाया जाता है | उसके बाद अंतिम कैंडिडेट के बटन को दबाया जाता है | इससे पता चलता है कि इस मशीन में कितने उम्मीदवारों के नाम दर्ज हैं |
- मतदान शुरू होने से पहले छद्म मतदान (मॉक पोल) होता है | कैंडिडेट या उसके एजेंट के सामने कम से कम 50 वोट डालकर देखे जाते हैं | मॉक पोल बंद कर नतीजे दिखाए जाते हैं |
- मतदान के दिन पोलिंग एजेंट, पर्यवेक्षक और अर्धसैनिक बल के अधिकारियों के सामने मशीन की चेकिंग की जाती है |
- मतदान समाप्त होने के बाद कंट्रोल यूनिट पर क्लोज का बटन दबा देते हैं | कुल वोटों की गिनती नोट की जाती है | मोहर लगाने के बाद उनका नंबर नोट किया जाता है |
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