नोटबंदी को 8 नवम्बर को 2 साल पूरे हो गए पर मुझे नहीं लगता की नोटबंदी के बाद भी कला धन समाप्त हो गया | सरकार के कई ऐसे फैसले हैं, जिनके कारण साधारण जनता को हमेशा कुछ न कुछ परेशनी का सामना करना ही पड़ता है | सरकार की आय दिन होने वाली लड़ाई का असर सिवा जनता के और किसी पर नहीं होता |
2 साल पहले 8 नवम्बर 2016 को जब मोदी सरकार ने नोटबंदी, काले धन और नकली नोट का खात्मा करने की बात की तो उसके 4 घंटे पहले ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के केंद्रीय बोर्ड ने काले धन और नकली नोट के ख़त्म होने की बात को खारिज किया | रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के केंद्रीय बोर्ड ने सिर्फ नोट बंदी को ही ग्रीन सिग्नल दिया परन्तु उनका कहना था कि काले धन की समाप्ति मुश्किल है |
मनोरंजन एस रॉय ने जब RTI से इस सवाल का जवाब माँगा की नोटबंदी के समय सबसे ज्यादा 500 और 1000 के नोट कहा जमा किये गए तब RTI की रिपोर्ट के अनुसार - अहमदाबाद के जिला सहकारी बैंक में 7,45 करोड़ रूपए से ज्यादा जमा किये गए | उस समय बैंक के अध्यक्ष BJP के अमित साह थे | 8 नवम्बर से 14 नवम्बर तक सबसे ज्यादा पैसा इस बैंक में जमा किया गया |
दूसरा बैंक है राजकोट का बैंक जहां से भारत के प्रधान मंत्री मोदी जी ने पहला चुनाव लड़ा था | राजकोट जिला सहकारी बैंक का नाम RTI की रिपोर्ट के अनुसार दूसरे नंबर पर रहा | जिसके अध्यक्ष गुजरात के कैबिनेट मंत्री जयेशभाई विट्ठलभाई रडाड़िया रहें जिनके बैंक में 693 करोड़ रूपए से ज्यादा जमा किये गए |
130 करोड़ की नोटबंदी का लाभ आम जनता को क्यों नहीं हुआ इसका जवाब शायद मिल गया होगा | क्योकि इतना कला धन सफ़ेद हो गया तो बात तो वही हो गई जो पहले थी |