क्या ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान देखने लायक है ?...

R

| Updated on November 9, 2018 | Entertainment

क्या ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान देखने लायक है ?

2 Answers
2,328 views
S

@seemathakur4310 | Posted on November 9, 2018

ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान का नाम सुनकर जो पहला दृश्य आँखों के सामने आता है वह यकीनन पाइरेट्स ऑफ़ सर्बियन का होता है, आखिर हो भी क्यों न आखिर इतनी सफाई से उस फिल्म कि मूल रूपरेखा को जो चुराया गया है । ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान एक ऐसी फिल्म मालूम होती है जो अपना पैसा आउट लोगो का समय बर्बाद करने के लिए बनाई गयी है । इस फिल्म की मूल रेखा को देखीं तो वह भारत के ऐसे दृश्य को दिखाना चाहता है जो कभी भारत में था ही नहीं या यूँ कहें हो ही नहीं सकता था । फिल्म का स्क्रीनप्ले और निर्देशन इतना बुरा है कि यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि यह उसी निर्देशक की फिल्म है जिसने धूम 3 निर्देशित की थी ( आखिर वह सच जैसी तो लगती थी ) ।

Thugs-of-hindostan-letsdiskuss

ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान की कहानी में सबसे बुरा यह है कि यह न तो सत्य प्रतीत होती है और न ही काल्पनिक । यह कुछ बीच का ही है जो फिल्म के इतना बुरा होने का कारण है । फिल्म में स्थानों के नाम को कितना घुमा फिराया गया है और किस जगह का सम्बद्ध किससे दिखाया गया है, यह समझते समझते ही फिल्म खत्म हो जायगी । बात साफ़ है कि फिल्म के लेखक को शायद भूगोल का सही ज्ञान नहीं है । इस फिल्म में इतने जहाज दिखाए गए हैं, शान ओ शौकत दिखाई गयी है कि मुझे अबतक समझ नही आ रहा कि फिल्म में हुआ तो हुआ क्या । और हाँ मैंने आपको यह बताया कि फिल्म के एक्शन सीन इतने ज्यादा स्लो हैं कि फिल्म से ज्यादा तेज आपको उड़ते हुए मक्खी मच्छर लगेंगे ।

Thugs-of-hindostan-letsdiskuss

अब आते हैं फिल्म के दो महानायकों पर, अमिताभ बच्चन और आमिर खान । इन दोनों ही अभिनेताओं को एक बहुत ही अलग अंदाज़ में दिखाया गया कि यह आमिर खान की तो अबतक की सबसे बुरी एक्टिंग की लिस्ट में टॉप पर आ गयी । आमिर खान के किरदार से आपको हंसी भले ही ना आये परन्तु उसके किरदार पर जरूर आएगी । हालंकि अभिनय इतना बुरा नहीं है परन्तु उनके खुदके लेवल के मुताबक बहुत बुरा है ।

फिल्म की अभिनेत्रियों पर आएं तो सना शेख को जितना अटेंशन दंगल में मिला था उससे 10 गुना काम अटेंशन इस फिल्म में मिला है ।

उनका अभिनय तो शायद उन्हें दिखाने का मौका ही नहीं मिला । दूसरी और कटरीना कैफ हैं जिन्हे हर नाचने गाने वाली जगह पर ही देखा जा सकता है और कहीं नहीं । कहने का अर्थ साफ है कि दोनों ही अभिनेत्रियों को कुछ खासा रोल नहीं दिया गया और उनका होना न होना बराबर ही था ।

कहने का तात्पर्य है कि फिल्म फ्लॉप है और बिलकुल भी देखने लायक नहीं है ।

0 Comments
M

@medhasinghkapoor4841 | Posted on November 10, 2018

यह निश्चित रूप से सबसे खराब VFX वाली फिल्म है। यह 2018 की सबसे खराब फिल्मों में से एक है। यह विजय कृष्णा आचार्य द्वारा निर्देशित फिल्म है जो धूम 3 के भी निर्देशक हैं और ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान उसी की तरह बुरी फिल्म रही ।

बेचारे लोग इतनी हिम्मत करके इस फिल्म को देखने के लिए गए और टिकट की कीमतों में वृद्धि देखकर और निराश हो गए। नतीजतन ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान के ऊपर बनते ट्रॉल्स की बाढ़ आ गयी ।

कलाकार अमिताभ बच्चन और आमिर खान को पहली बार एक साथ फिल्म में दिखाकर, सिनेमाघरों के द्वार पर श्रोताओं को लुभाने के लिए यह एक अच्छी मार्केटिंग रणनीति थी, लेकिन एक बार जब वे प्रवेश कर गए और आँखें खोली तो उन्हें कुछ भी नहीं मिला। कहानी असंवेदनशील थी, और असली 18 वीं और 1 9वीं सदी के इतिहास को इसने काफी हद तक विकृत कर दिया।

Thugs-of-hindostan-letsdiskuss

ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्तान भले ही यह सबसे खराब फिल्म नहीं है (क्योंकि रेस 3 अब भी 2018 की सबसे बुरी फिल्म है ) - यह एक महान उदाहरण है जो हमें बताता है कि एक अंग्रेजी उपन्यास से कहानी लेना और एक हॉलीवुड फिल्म (पाइरेट्स ऑफ़ कर्रेबियन सी ) से विचार और अवधारणा , एक फिल्म को अच्छा साबित नहीं कर सकती ।
फिल्म इतिहास, साहित्य और सिनेमा हर तरह से विफल रही है।

अमिताभ बच्चन ने अपने विस्तृत परिधान, संतोषजनक अभिनय कौशल और खुदाबाक्ष के रहस्यमय चरित्र के साथ फिल्म को बचाने की बहुत कोशिश की । हालांकि, आमिर खान ने जो किया वह क्षतिपूर्ति नहीं कर सका (वह फ़िरंगी का किरदार नहीं निभा रहा था बल्कि जैक स्पैरो का किरदार निभाने की कोशिश कर रहा था, जिसमें भी वह बहुत बुरी तरह विफल रहा)। इसके अलावा, कैटरीना कैफ ने चिक्नी चमेली की अगली कड़ी को चलाने की उम्मीद की थी- और इसलिए उन्हें फिल्म के उत्थान की दिशा में योगदान न देने के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता ।

फातिमा शेख का चरित्र एक बहादुर-महिला चरित्र के रूप में दिखाया गया है, लेकिन किसी भी अन्य बॉलीवुड फिल्म की तरह, इस चरित्र को नज़रअंदाज़ किया गया है - जो 1 9वीं शताब्दी में महिलाओं की स्थितियों को देखते हुए उचित ठहराया जा सकता है। हालांकि निर्देशक इस यथार्थवादी चरित्र को पूरी तरह से भूल गए,परन्तु उन्होंने सुरराया (कैटरीना कैफ) के सजावटी चरित्र को जितना संभव हो सके उतना ही शानदार तरीके से फिल्म में जोड़ा ।

Article image

तो हाँ, फिल्म हर दृष्टि से बुरी है और देखने लायक बिलकुल भी नहीं है ।
0 Comments