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Sweety Sharma

fitness trainer at Gold Gym | Posted on | others


लड़कियों के पहनावे से उन्हें जज क्यों किया जाता है,क्या साड़ी पहनने से ही संस्कार झलकता है,जीन्स से नहीं ?


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Fashion expert,(Daizy Enterprises ) | Posted on


लड़कियों को उनके पहनावे से जज किया जाना हम,लोगों की ग़लत सोच कह सकते हैं | वैसे ऐसा बिलकुल नहीं हैं, कि जीन्स वाली संस्कारी नहीं होती और साड़ी वाली संस्कारी होती हैं | मुझे ऐसा लगता हैं, कि किसी भी इंसान के संस्कार उसके कपड़े निर्धारित नहीं करते बल्कि इंसान का संस्कारी होना उसके व्यवहार पर निर्धारित होता हैं |

चाहे आप साड़ी पहनों या जीन्स,ये सब पहनना आपके संस्कार निर्धारित नहीं करेगा,तो ये बात तो साफ़-साफ़ गलत हैं, कि जीन्स पहनने वाली लड़की संस्कारी नहीं होती | साड़ी पहनना कोई खास पसंद नहीं करता | बहुत कम महिलाए हैं, जो साड़ी पहनना पसंद करती हैं, क्योकि वर्तमान समय में 100% में से 75% महिलाए जॉब करती हैं, तो उनका साड़ी न पहनने का एक बहाना उनकी जॉब को मान सकते हैं, और जो 25% महिलाए हैं, वो सलवार-सूट पहनना पसंद करती हैं | साड़ी आज कल सिर्फ फैशन का एक ट्रैंड बन गया हैं, या कहें कि देखा देखि बस और कुछ नहीं |

जो महिलाए साड़ी पहनती हैं, उनके शरीर का भी उतना हिस्सा ही दिखता हैं जितना कि जीन्स के ऊपर शार्ट टॉप पहने वाली महिला या लड़कियों का ,तो साड़ी पहनने वाली महिला संस्कारी और जीन्स वाली बेशर्म क्यों कहलाती हैं ? किसी के कपड़े ये नहीं बताते की इंसान क्या हैं, बल्कि इंसान अपने व्यक्तित्व से ये बताता हैं, कि वो क्या हैं ? इसलिए ये बात से में सहमत नहीं हूँ कि साड़ी में संस्कार और जीन्स में बेशर्मी झलकती हैं |

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Creative director | Posted on


यदि पहनावे की बात करें तो पहनावे तो बहुत से प्रकार के होते हैं परन्तु यदि हम विशेष रूप से साड़ी की बात करें तो या अधिक विवादस्पद होता है | भारत में अधिकतर लोगो का मानना साफ़ है की साडी जीन्स से बेहतर होती है क्योंकि यह हमारे "पूर्वजो" के अनुसार और भारतीय संस्कृति के अनुसार अच्छा पहनावा है | यदि जीन्स का चलन सतयुग या द्वापरयुग से चला होता तो शायद आज लोग जीन्स को भी भारतीय संस्कृति कहने से नहीं कतराते | जवाब साफ़ है, जो भारतीय नहीं है वह भारतीय संस्कृति नहीं है |


इसलिए यदि एक स्त्री साड़ी में आपके सामने प्रकट होती है, चाहे फिर वह कितनी ही अंगप्रदर्शित करने वाली ही क्यों न हो लोगो की नज़र में "संस्कृति" कहलाएगी, और जीन्स चाहे कितनी भी सभ्य हो वो "संस्कृति का अपमान" या "पश्चिमी सभ्यता" ही कहलाएगी |

लड़कियों के पहनावे से उन्हें जज सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि कुछ भारतीय अभी भी यह स्वीकार नहीं कर सकते की संस्कृति कपड़ो से नहीं झलकती अपितु संस्कृतियों का पालन करने वाले व्यक्ति से झलकती है | यदि जीन्स पहनने वाली लड़की अंतराष्ट्रीय पटल पर भारत की संस्कृति से लोगो को परिचित करा रही हो, या भारत का नाम रोशन कर रही हो, और दूसरी तरफ साड़ी पहनने वाली महिला केवल अपने जीवन को कोस रही हो और किसी प्रकार से अपने देश के लिए या उसकी संस्कृति के लिए कुछ न कर रही हो, तो कौन अपनी संस्कृति की सही प्रकार से रक्षा कर रहा है ? साड़ी वाली महिला या जीन्स वाली लड़की?

संस्कृति हमारे पहनावे से नहीं बल्कि हमारे व्यवहार, आदर्शों से और संस्कारों से झलकती है |

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Occupation | Posted on


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लड़कियों के पहनावे से उन्हें जज नहीं किया जा सकता है, क्योंकि जरूरी नहीं होता है कि साड़ी पहनने वाली लड़की संस्कारी हो और जींस पहनने वाली लड़की चरित्रहींन हो, ऐसा बिल्कुल नहीं होता है, लोगो की सोच ही गलत होती है, लोगो को कपड़े देखकर जज नहीं करना चाहिए। क्योंकि जींस पहनने वाली भी लड़की के अंदर साड़ी पहनने वाली लड़की के अंदर उससे भी अच्छे विचार, अच्छे संस्कार, सबका आदर सम्मान करने वाली भी हो सकती है।वही साड़ी पहनने वाली लड़की घूँघट के अंदर अच्छी बनने का नाटक करते हुए घूम रही हो और दरअसल मे उसके अंदर वह आदर्श गुण हो ही ना, इसलिए हमें कभी भी लड़कियों के पहनावे से उन्हें जज नहीं किया जाता है।


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| Posted on


हमारे देश में अक्सर लड़कियों को उनके कपड़ों से जज किया जाता है। उसने क्या पहना है उसके ऊपर यह अच्छा नहीं लगता इस तरह के कपड़े नहीं पहनने चाहिए खासकर गांव के लोगों की सोच अभी भी बहुत पुरानी है अगर कोई लड़की जींस पहन कर चल देती है। तो उसे घूर घूर कर देखने लगते हैं और आपस में बातें करने लगते हैं यहां तक कि उनके माता-पिता से भी बोलते हैं कि आपकी लड़की कैसी है आपने इसी तरह के संस्कार दिए हैं उसे तो वह जींस पहन ली तो उन लोगों को उसके संस्कार दिखने लगे कि इस लड़की में संस्कार नहीं है वहीं अगर वही लड़की साड़ी पहनती तो लोग बोलते कि वह बहुत संस्कारी हैं। ऐसा नहीं होता कि उसके कपड़ों से उसके संस्कार का पता चले।Letsdiskuss


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