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सुनिए! डीयू की पीडब्ल्यूडी छात्रा की दर्द भरी जुबानी


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pravesh chuahan,BA journalism & mass comm | Posted on



हमारी मौजूदा सरकार नए-नए वादे और नई-नई योजनाओं को आयोजित करने के लिए जानी जाती है मगर एक बात तो इस सरकार की माननी पड़ती है कि यह सरकार केवल योजनाओं में पैसा कम और योजनाओं के विज्ञापन में पैसा ज्यादा लगाती है. मोदी सरकार ने विकलांग लोगों को नई पहचान दिव्यांग के रूप में तो दे दी है मगर दिव्यांग शब्द भी सिर्फ नाम का ही दिया है खबरें बताती हैं कि सरकार दिल्ली विश्वविद्यालय का निजीकरण करने पर उतारू हो गई है जिस वजह से दिल्ली विश्वविद्यालय अध्यापक संघ हड़ताल भी करता है देश की प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में शुमार दिल्ली विश्वविद्यालय की पीडब्ल्यूडी छात्रा की जव आप दासता सुनेंगे तो आप भी हक्के बक्के रह जाएंगे.

दिल्ली विश्वविद्यालय के राम लाल आनंद कॉलेज की छात्रा निधि जो कि एक पीडब्ल्यूडी श्रेणी की छात्रा है निधि ने बताया कि उन्होंने पिछले 18 महीने से मोटराईज वहील कुर्सी के लिए आवेदन किया हुआ था.18 महीने के लंबे अंतराल के बाद जब उन्हें मोटराइज्ड कुर्सी मिली तो वह भी सिर्फ दिखावट के लिए ही मिली. निधि का कहना है कि पिछले 18 महीने से उनको बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.कॉलेज में पीडब्ल्यूडी छात्रों के लिए कोई विशेष सुविधा उपलब्ध नहीं है सुबह उनके पापा कॉलेज के गेट के पास छोड़ते हैं और निधि की दोस्त उनको लेकर कॉलेज में प्रवेश करती हैं. निधि की दोस्त मोटराइज्ड कुर्सी मिलने से पहले 18 महीने उनकी दोस्त उनके साथ संघर्ष करती रही रोज सुबह गेट के पास से व्हीलचेयर से लेकर आते हैं और क्लास में लेकर जाते हैं जब निधि की दोस्त कॉलेज नहीं आती तो नीधी को उस दिन कॉलेज से छुट्टी लेनी पड़ती है. क्योंकि अगर वह कॉलेज जाती है तो निधि को गेट से क्लास तक ले जाने वाला कोई नहीं होता

हालांकि मोटराइज कुर्सी मिलने के बाद कुछ राहत तो मिली है उन राहतों को भी कोई प्रशासन की नजर लग चुकी है.मोटराइज्ड विल कुर्सी को केवल कॉलेज में इस्तेमाल करने की इजाजत है और घर जाते हुए तो कुर्सी को कॉलेज में ही छोड़ कर जाना पड़ता है.

निधि ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े बाकी कॉलेज पीडब्ल्यूडी श्रेणी के छात्रों को मोटराइज कुर्सी निजी इस्तेमाल करने के लिए प्रदान करती है मगर राम लाल आनंद कॉलेज ऐसा नहीं करता निधि ने आगे बताया कि वह इस कॉलेज से इतना परेशान है कि उनका मन करता है वह किसी दूसरे कॉलेज में स्थानांतरण करवा ले मगर समय ज्यादा होने के बाद किसी दूसरे कॉलेज में भी प्रवेश मिलना संभव नहीं है. निधि का कहना है कि अगर उन्हें मोटराइज कुर्सी निजी इस्तेमाल करने के लिए मिलती है तो इससे उनकी बहुत सी परेशानियों का सफाया हो सकता है

नीधि के पिता एक प्राइवेट कंपनी में जाँब करते हैं और उनको निधि को लेकर आने और जाने में अपनी जॉब से छुट्टी लेनी पड़ती है जिससे निधि के पिता की जॉब का भी नुकसान होता है निधि का कहना है कि अगर उन्हें मोटराइज वहील कुर्सी निजी इस्तेमाल करने के लिए मिलती है तो उनके पिता को लेकर आने और जाने की दिक्कत नहीं होगी क्योंकि मोटराइज कुर्सी से आसानी से कॉलेज आ जा सकती हैं और कॉलेज में भी किसी दूसरे छात्र की जरूरत भी उन्हें होगी. जिससे वह खुद अपने दम पर घर से कॉलेज और कॉलेज से घर आ सकती हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय देश की टॉप 10 विश्वविद्यालय की श्रेणी में हर साल शुमार रहती है मगर इस पीडब्ल्यूडी श्रेणी की छात्रा की कहानी से तो ऐसा लगता है कि इस विश्वविद्यालय के नाम बड़े और दर्शन छोटे हैं......



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