नमस्कार प्रिया जी, स्वागत है आपका और आपके सवाल का हमारी वेबसाइट में ,आपका सवाल कबीले तारीफ है ,क्योकि आपके इस सवाल से बहुत से लोग इत्तेफाक रखते होंगे,क्योकि आपका सवाल बहुत ही सही है |
प्रिया जी ये भारत है और यहाँ भारत की सरकार चलती है, यहाँ हर समस्या को तब तक महत्वपूर्ण नहीं समझा जाता जब तक की उस समस्या से किसी का बुरा न हो जाए या देश में मोमबत्ती लेकर न निकला जाए ,या फिर दंगे न हो जाए ,तबाही न हो जाए ,तब तक सरकार को न तो कुछ दिखाई देता है और न ही सुनाई नहीं देता | भारत सरकार की आदत है ,अगर किसी गुनेहगार का संगीन से संगीन गुनाह साबित भी हो जाए तो भी उसको सीधा सजा नहीं होती |
जैसे - 26/11/2008 को हुआ मुंबई "होटल ताज" का आतंकी हमला | जो लोग आज भी नहीं भूल सके | कितना बड़ा आतंकी हमला हुआ ,कितना नुक्सान हुआ इस हमले में ,उसके बाद इस गुनाह को अंजाम देने वाला गुन्हेगार पकड़ा भी गया ,पर हुआ क्या ? ये सभी जानते है | अदालत ,पेशी ,कोर्ट ,हाई कोर्ट ,सुप्रीम कोर्ट ,फिर 21/11/2012 को सजा के रूप में फांसी | 2008 से 2012 तक जो "कसाब" को जेल में रखा उसको खिलाया उस पर सरकार ने इतना खर्चा किया |
यही है भारत सरकार ,और अब फिर वही कर रही है | नाबालिग से रेप के आरोपी आसाराम बापू को जोधपुर की अदालत ने दोषी करार दे दिया फिर कोर्ट ने आसाराम को उम्र कैद की सजा सुनाई है। रेप कोई छोटा गुनाह नहीं संगीन गुनाह है | इसके लिए सजा भी संगीन होनी चाहिए | ऐसे गुनाह करने वालो से जेल भर दो ,उनको खाना खिलाओ ,उनके लिए सरकार खर्चा करती रहे | देश में बहुत लोग है जिनको 2 वक़्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है | सरकार ऐसे लोगो को क्यों नहीं देखती |