Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language



Blog
Earn With Us

Pankaj Shukla

जी मीडिया समूह |संपादक ( वरिष्‍ठ पत्रकार और दैनिक अखबार ) | Posted on | Health-beauty


डिप्रेशन को हराया जा सकता है...

0
0



मप्र के आध्‍यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज ने इस सप्‍ताह खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली। उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा, "मैं काफी तनाव में हूं, परेशान हूं, मैं जा रहा हूं।" हैरानी की बात है कि आध्यात्मिक संत कहे जाने वाले भय्यूजी भी तनाव से पीछा नहीं छुड़ा पाए। बीते एक हफ्ते दुनिया के दो और मशहूर लोगों ने सुसाइड किया है। इनमें मशहूर अमेरिकन शेफ एंटनी बॉर्डेन और फैशन डिजाइनर केट स्पेड शामिल हैं। इन लोगों ने सुसाइड नहीं किया है, बल्कि डिप्रेशन ने इन्हें मार डाला है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर डिप्रेशन कितनी बड़ी चीज है, जिसके सामने दुनिया को फतह करने वाली ये शख्सियतें भी हार गईं।


असल में डिप्रेशन इन दिनों एक महामारी की तरह बढ़ रहा है। डब्‍ल्‍यूएचओ की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया में हर 40 सेकंड में एक शख्स सुसाइड करता है। हर साल करीब 8 लाख लोग सुसाइड से मरते हैं। सुसाइड करने वालों की एवरेज उम्र 15 से 29 साल होती है। वहीं, भारत में खुदकुशी करने वालों औसतन उम्र 30 साल है। 90% लोग मेंटल डिसऑर्डर की वजह से सुसाइड करते है, उसमें भी पुरुषों की संख्या महिलाओं से ज्यादा है। देश में हर दिन करीब 300 सुसाइड होते हैं। इसमें से फैमिली प्रॉब्लम और बीमारियां 44% सुसाइड का कारण बनती हैं।


इन आंकड़ों के विपरीत एक अन्‍य उदाहरण 23 साल की मीराबाई चानू का है जिन्‍होंने कुछ माह पूर्व राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किलोवर्ग के भारोत्तोलन में गोल्ड मेडल जीता। यह जीत बहुत मायने रखती है क्योंकि चानू ने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों को ही नहीं अपने अंदर बसे डिप्रेशन नामक दुश्मन को भी हराया। चानू 2016 में हुई असफलता के बाद डिप्रेशन से घिर गई थी। जो भार मीरा रोज़ाना प्रैक्टिस में आसानी से उठा लिया करतीं, उस दिन ओलंपिक में जैसे उनके हाथ बर्फ़ की तरह जम गए थे। उस समय भारत में रात थीं, तो बहुत कम भारतीयों ने वो नज़ारा देखा। सुबह उठ जब भारत के खेल प्रेमियों ने ख़बरें पढ़ीं तो मीराबाई रातों रात भारतीय प्रशंसकों की नज़र में विलेन गईं। नौबत यहाँ तक आई कि वो डिप्रेशन में चली गईं और उन्हें हर हफ्ते मनोवैज्ञानिक के सेशन लेने पड़े। इस असफलता के बाद एक बार तो मीरा ने खेल को अलविदा कहने का मन बना लिया था लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और पिछले साल ज़बरदस्त वापसी की। इस जीत के पीछे लगन और परिश्रम ही नहीं अपनी कमजोरियों को परास्त करने की जिजीविषा भी है। ऐसी जीत मुश्किल होती है असम्भव नहीं।


ऐसे में हमें अपने और अपने आसपास के लोगों में डिप्रेशन यानि अवसाद के लक्षणों और संकेतों को समझना बहुत ज़रूरी है क्योंकि हम इस बारे में तभी मदद मांग सकते हैं जब हमें सही समय पर पता चल सकेगा कि हमारी ज़िंदगी में सबकुछ सही नहीं चल रहा है। डिप्रेशन के कुछ लक्षणों में ठीक से नींद न आना, कम भूख लगना, अपराध बोध होना, हर समय उदास रहना, आत्मविश्वास में कमी, थकान महसूस होना और सुस्ती, उत्तेजना या शारीरिक व्यग्रता, मादक पदार्थों का सेवन करना, एकाग्रता में कमी, ख़ुदकुशी करने का ख़्याल, किसी काम में दिलचस्पी न लेना आदि।

यदि आप भी अवसाद से घिर रहे हैं तो योग और प्राणायम कीजिए। मोबाइल और वर्चुअल दुनिया को छोड़ अपने परिवार व दोस्‍तों के साथ समय गुजारिए। अपने किसी शौक जैसे गायन, वादन, पेंटिंग, लिखना, पढ़ना आदि को दिनचर्या में शामिल कीजिए। आवश्‍यक होने पर अच्‍छे क्लिनिकल साइकेट्रिक से अवश्‍य मिलिए वह आपकी सहायता करेगा।


डिप्रेशन को हराया जा सकता है...