जैसे ही रावण का नाम आता है, लोगों के अंदर बहुत ही क्रोध की भावना जाग्रित हो जाती है | रावण जैसा इस धरती में कोई दूसरा नहीं है | रावण एक ऐसा ब्राह्मण था, जो सबसे बुद्धिमान था | रावण कैकसी और महर्षि विश्वा का पुत्र था | ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बाद भी रावण राक्षस प्रवत्ति का था |
कैसे हुआ रावण का जन्म :-
बहुत समय पहले एक सुकेश नाम का रक्षक था | जिसके तीन पुत्र थे | माल्यवान, माली और सुमाली | यह तीनो राक्षसों में ब्रह्मा जी की कठिन तपस्या की, ब्रह्मा जी इनकी तपस्या से खुश हुए | तीनो भाइयों ने ब्रह्मा जी से वरदान माँगा कि हम तीनो भाइयों में ऐसे ही प्रेम बना रहें और कोई हमें पराजित न कर सकें | ब्रह्मा जी वरदान पाकर तीनो भाइयों ने आतंक मचा दिया |
उन्होंने भगवान विश्वकर्मा को बंदी बना लिया और भगवान विश्वकर्मा ने उनके अत्याचारों के डर से उन्हें लंका नगरी का पता बता दिया | फिर तीनो भाई अपने सभी मित्रों और सम्बधियों के साथ मिलकर लंका नगरी में रहने लगे | माल्यवान के सात पुत्र थे ,सुमाली के दस पुत्र और एक पुत्री उत्पन्न हुई और सबसे छोटे भाई माली के चार पुत्र उत्पन्न हुए थे | तीनो भाइयों के 21 पुत्रों के ऋषि मुनियों का जीना मुश्किल कर दिया था |
ऋषि मुनि अपना जीवन बचने के लिए भगवान विष्णु जी की शरण में गया और उनसे मदद मांगी | माली अपनी एक विशाल राक्षस सेना को लेकर भगवान इंद्रा पर हमला करने निकले तो उन्हें भगवान विष्णु ने पराजित कर दिया और माली सहित सारे राक्षस का वध कर दिया | इसके बाद माल्यवान एक बड़ी सी सेना लेकर भगवान विष्णु जी से युद्ध करने के लिए गया और फिर एक बार राक्षस पराजित हुए | इस बार माल्यवान के साथ तीनो बहियों के पुत्र भी युद्ध में समाप्त हो गए |
राक्षस सुमाली को जब अपने भाई और सभी पुत्रों की मृत्यु का पता चला तो उन्हें राक्षस कुल की चिंता होने लगी और इस चिंता के चलते उन्होंने अपने सभी सम्बन्धियों सहित लंका को त्याग दिया उसके बाद लंका पर भगवान कुबेर का राज हो गया | सुमाली ने राक्षस कुल को विनाश से बचाने के लिए अपनी पुत्री कैकसी से कहा कि वह महर्षि विश्वा के पास जाए और उनसे पुत्र प्राप्त करें | उनकी आज्ञा से कैकसी महर्षि विश्वा के पास गई और उनसे विवाह किया और 3 पुत्र और 1 पुत्री प्राप्त की | रावण महर्षि विश्वा और कैकसी का सबसे बड़ा पुत्र है |