Teacher | Posted on | Astrology
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हिन्दू तिथि के आधार पर अमावस्या अंतिम तिथि होती हैं | जैसा कि पहले बताया गया हैं, कि एक महीने में 30 दिन होते हैं, और 30 दिनों में 15-15 दिनों में तिथि बँटी हुई हैं | अमावस्या तिथि बहुत अधिक महत्व रखती हैं, क्योकि यह कृष्णा पक्ष का आखरी दिन होता हैं | अमावस्या के दिन चन्द्रमा पूर्णतः दिखना बंद हो जाता हैं | ज्योतिष के अनुसार अमावस्या के दिन दान देने से मनुष्य को भरपूर लाभ मिलता हैं |
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शनि अमावस्या पर अधिकतर लोग शनिदेव की पूजा करते है,शनिदेव का पूजन करने के लिए सबसे पहले नहा धो कर पवित्र हो जाये और तन-मन से पवित्र होने के बाद जल, फूल लेकर शनि मंदिर जाएं और उन्हें वहां पर सरसों का तेल, काली उड़द, काला तिल, लोहे की की , शमी पत्र, काला वस्त्र तथा जल आदि चढ़ाए, जिससे आपके जीवन मे जो भी कष्ट होंगे शनिदेव दूर करेंगे तथा शनिदेव मन्दिर जाने परआटे का चौमुखा दीया जलाकर ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का अधिक से अधिक जप करें।
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यदि आप भी शनि अमावस्या के दिन पूजा पाठ करना चाहते हैं तो इसके लिए मैं आपको शनि अमावस्या की पूजा विधि के बारे में बताऊंगी। शनि अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा पूरे विधि विधान के साथ की जाती है इस दिन आपको सुबह उठकर स्नान करना होगा साफ-सुथरे वस्त्र पहनने होंगे इसके बाद शनिदेव के मंदिर पर जाकर शनिदेव के समक्ष सरसों के तेल से दीपक जलाना होगा और दीपक में काले तिल अवश्य डालें इसके बाद शनिदेव के मंदिर में बैठकर शनिदेव का जप करें जब करने के बाद शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है।
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जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शनि भगवान कलयुग के देवता माने जाते हैं और इनकी हर शनिवार को पूजा की जाती है। लेकिन शनि अमावस्या के दिन पूजा करने के लिए हमें सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र को धारण करना चाहिए। इसके बाद आप शनि मंदिर जाकर शनि भगवान को सरसों का तेल चढ़ाएं और उनके सामने सरसोंके तेल में काली तिल डालकर दीप जलाएं। शनि भगवान को भोग लगाने के लिए आप काली तिल के लड्डू या उड़द की दाल की खिचड़ी का भोग लगाना बहुत ही अच्छा होता है। शनि अमावस्या के दिन शनि चालीसा का पाठ भी कराना चाहिए।
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