श्री राम मंदिर निर्माण में क्या देना चाहिए ध्यान ? - letsdiskuss
Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language



Blog
Earn With Us

ashutosh singh

teacher | Posted on | Education


श्री राम मंदिर निर्माण में क्या देना चाहिए ध्यान ?


0
0




teacher | Posted on


राम मन्दिर निर्माण तीर्थ को ये ध्यान देना चाहिए कि जितने भी लोग इस लड़ाई मे थे जिनकी वजह से ये मन्दिर बन रहा है उनको भी भुमी पुजन मे बुलाये और उन राजपुतो को भी जो 500 साल से सर पर पगड़ी और पैर मे चप्पल तक ना पहने उनको भी सम्मान दिया जाय


0
0

student | Posted on


रामतीर्थ निर्माण 

अयोध्या में मंदिर निर्माण की कवायद का तेज होना न केवल स्वाभाविक, बल्कि स्वागत-योग्य है। कोरोना की वजह से इस कार्य में कुछ देरी हो चुकी है, लेकिन राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अब इसमें और देरी के पक्ष में नहीं है।

शनिवार को हुई ट्रस्ट की बैठक में यह फैसला किया गया कि अगस्त में निर्माण कार्य में तेजी आ जाएगी। सब कुछ ठीक रहा, तो यह तीन मंजिला मंदिर साढ़े तीन साल में बनकर तैयार भी हो जाएगा। भूमि की उपलब्धता को देखते हुए मंदिर परिसर का आकार-विस्तार बढ़ाने का फैसला भी ठीक ही है।

मंदिर के लिए 120 एकड़ तक जमीन उपलब्ध हो सकती है। पहले यह दायरा 67 एकड़ तक सीमित था। एक मांग यह भी रही है कि इस मंदिर को दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर बनाया जाए, लेकिन इस होड़ में न पड़ते हुए मंदिर का आकार सामान्य ही रखा जा रहा है, तो यह स्वागत-योग्य है।

किसी भी प्रकार की होड़ में न पड़ते हुए इसे सुंदर और सशक्त बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। इस मंदिर की ऊंचाई 161 फुट होगी, वैसे भारत में ही अनेक मंदिर हैं, जो इससे ऊंचे हैं।

देश का सबसे ऊंचा मंदिर मथुरा-वृंदावन में इस्कॉन के तहत निर्माणाधीन है, जिस पर 300 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च अनुमानित है। अयोध्या में निर्मित होने जा रहे राम मंदिर का बजट 100 करोड़ के आसपास होने का अनुमान है। यह अच्छी बात है कि ट्रस्ट आस्था व सुविधा पर अपना ध्यान केंद्रित करता दिख रहा है।

मंदिर का शिलान्यास देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करना है, तो कोई आश्चर्य नहीं। भारत जैसे धर्म सजग देश में राजनीति और सरकार की धर्मस्थल के मामलों में लिप्तता कतई नई नहीं है। ऐसा देश में पहले भी होता रहा है।

मथुरा-वृंदावन में निर्माणाधीन बताए जा रहे दुनिया के सबसे ऊंचे मंदिर का शिलान्यास साल 2014 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था। फिर भी, किसी धर्मस्थल के मामले में राजनीति और सरकार की भूमिका जितनी सीमित हो, उतना ही अच्छा।

किसी भी धर्मस्थल का निर्माण लोगों के धन से होना चाहिए और धर्मक्षेत्रों में सरकार की भूमिका कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने तक सीमित रहनी चाहिए।

मंदिर ट्रस्ट का यह फैसला भी यथोचित है कि मंदिर के लिए देश के 10 करोड़ लोगों से मदद ली जाएगी। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मंदिर किन्हीं दो-चार उद्योग घरानों, अखाड़ों या पार्टियों का होकर न रह जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष अपना फैसला सुनाते हुए दूसरे धर्म को  भी पूरा मान दिया था। भारतीय संविधान की सेकुलर भावना को आगे बढ़ाने की जरूरत है। दूसरे धर्मस्थल का शिलान्यास व निर्माण भी उतने ही भव्य तरीके से होना चाहिए और वहां भी किसी प्रकार की होड़ से बचते हुए सबकी भावनाओं का यथोचित आदर क्रम रहना चाहिए।

ध्यान रहे, मंदिर उस भगवान का बन रहा है, जिनका पूरा चरित्र ही दूसरों और आम लोगों को आदर देने में बीत गया। अब कोई कारण नहीं कि मर्यादा पुरुषोत्तम का मंदिर निर्माण किसी भी मर्यादा का उल्लंघन करते हुए किया जाए।

राम के युग से आज तक ईमानदारी एक सर्वोच्च मर्यादा रही है और वह निरंतर बनी रहनी चाहिए। भारत में धर्मस्थल दिखावा या पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि मानवीयता, दरिद्र नारायण की सेवा व जन-कल्याण के संदेशों के वाहक बन जाएं, तो इससे बेहतर कुछ नहीं।

Letsdiskuss



0
0

phd student | Posted on


राम मन्दिर निर्माण तीर्थ को ये ध्यान देना चाहिए कि कोई भी ईन्सान जो हिन्दु धर्म से ताल्लुक़ न रखता हो उसे उस क्षेत्र मे नही आने देना चाहिए


0
0