विदुर नीति के अनुसार धन प्राप्ति के कौन से स्त्रोत हैं ? - letsdiskuss
Official Letsdiskuss Logo
Official Letsdiskuss Logo

Language



Blog
Earn With Us

Rohit Valiyan

Cashier ( Kotak Mahindra Bank ) | Posted on | Astrology


विदुर नीति के अनुसार धन प्राप्ति के कौन से स्त्रोत हैं ?


0
0




Astrologer,Shiv shakti Jyotish Kendra | Posted on


निति चाहे कोई भी हो धन प्राप्ति की कामना हर इंसान की होती है | ज्योतिष शास्त्र में धन प्राप्ति की निति के बारें में बताया गया है | वैसे तो धन प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की पत्नी लक्ष्मी जी की आराधना करना शुभ होता है | वैसे भी दिवाली आ रही है, दिवाली के शुभ अवसर पर लक्ष्मी और गणेश की पूजा करने का महत्व है |

आज आपको विदुर निति के आधार पर बताते हैं, कि धन की प्राप्ति कैसे की जा सकती है | जैसा कि धन प्राप्त करना और धन अपने पास रुकना इसकी कामना सभी करते हैं | धन मिले और धन खर्च करने के बाद भी कभी खत्म न हो कई लोगों का यह सपना होता है | अगर आपका भी यही सपना है, तो कुछ नियम है, जिनका पालन करने से आपकी ज़िंदगी में धन का नियमित आगमन होगा और धन आपके पास रुकेगा भी |

इस लोक का अर्थ -

श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते।
दाक्ष्यात्तु कुरुते मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति।।

श्रीर्मङ्गलात् प्रभवति :- सदैव अच्छे और मगल कार्य करें, इससे लक्ष्मी जी का आगमन सदैव के लिए होता है | इसका अर्थ है, जो इंसान हमेशा अपने परिश्रम और लगन से काम करता है, उसके जीवन में लक्ष्मी जी का आगमन अवश्य होता है |

प्रागल्भात् सम्प्रवर्धते :- प्रगल्भता का अर्थ है, धन का सही प्रबंधन करना | अर्थात धन का सही निवेश एवं बचत करें तो इससे वह लगातार बढ़ता है। अगर हम धन का निवेश सही कार्य करने के लिए करें तो धन की वृद्धि होगी |

दाक्ष्यात्तु कुरुते :- इसका अर्थ है, कि अपने धन को चतुरता और सावधानी से सोच-समझकर उपयोग करें | आय और व्यय का ख्याल रखें | इससे धन का निश्चित सञ्चालन बना रहेगा | इसे आपको इस बात का ज्ञान रहेगा की आप किस चीज़ में कितना व्यय कर रहे हैं |

मूलं संयमात् प्रतितिष्ठत्ति:- अपने मानसिक, शारीरिक और वैचारिक व्यवहार में संयम बनाएं रखें | इससे आपके धन की रक्षा होगी | इसका अर्थ यह है, कि सुख पाने और शोक पूरे करने के कारण बेवजह से खर्चे न करें |

Letsdiskuss


0
0