एथलीट हिमा दास के बारें में कुछ रोचक तथ्य क्या है?
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रोके से भी ना रुके ये कदम मुझे इतनी दूर जाना है
मेरी हौसलें की उड़ान इस आसमान तक नहीं
मुझे तो अब इन बादलों के पार जाना है
यह कुछ पंक्तियाँ हिमा दास के बिलकुल सही है, क्योंकि उन्होनें ना केवल भारत को एथलिट में गोल्ड मैडल का सम्मान ला कर दिया है बल्कि अपने दम पर बिना किसी सीख और मदद के ना चलना सीखा बल्कि खुद को इतनी तेज़ रफ़्तार से दौड़ाया की आज वो भारत ही नहीं, पूरे विश्व की धड़कन बन गयी है |
हिमा दास एक एथलीट है जिन्होंने मात्र केवल 18 साल की उम्र में आइएए एफ अंडर 20 में एथेलिटक्स चैंपियनशिप में महिलाओ की 400 मीटर की दौड़ में सबसे पहला स्थान हासिल किया और स्वर्ण पदक जीता, ये भारत के लिए इस मानक पर गोल्ड जीतने वाली पहली महिला एथेलिट बन गई है | जिन्हें अब भारत का गौरव और गर्व दोनों कहाँ जाने लगा है |
आपको ये बात जान कर हैरानी होगी की हिमा एक बहुत ही गरीब परिवार से है इनके पिता का नाम रोंजित दास है और ये चावल की खेती करते है और इनकी माँ जोमोली दास घर संभालती है, इनके माता पिता की कुल 6 संताने है |
हिमा का जन्म आसाम के नागों के एक छोटे से गाँव धिंग में हुआ और ये बचपन से ही फुटबॉल खेलती थी और हिमा ने अपनी पढाई अपने गाँव के ही एक छोटे से स्कूल से की वह बचपन से ही बड़ी फुर्तीली और खेल कूद में दिलचस्पी दिखाई | वह बचपन से ही खेल कूद की शौक़ीन थी |
हिमा को साल 2016 में उनके एक फिजिकल एजुकेशन के टीचर ने उनसे कहा की फुटबॉल में लडकियों के लिए करियर बनना इतना आसान नही है उन्हें एकल स्पर्धा में ध्यान देना चाहिए |
जिसके कुछ ही समय के बाद इन्होंने गुवाहाटी स्टेट लेवल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया और बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के 100 मीटर की रेस में कस्य पदक भी जीता |
इसके बाद हिमा दास जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए हिमा को कोयंबटूर गयी और यहाँ पर हिमा फाइनल राउंड तक पहुँच गई , इस राउंड तक पहुचने के लिए एक प्रोफेशनल ट्रेनिंग की जरुरत होती है , पर हिमा बिना किसी ट्रेनिंग के फायनल तक आयी थी |
इसके बाद हिमा दास के कोच , नाबजित मलारकर और निपुण दास ने हिमा के पिता से हिमा को ट्रेनिंग के लिए गुवाहाटी ले जाने की अनुमति मांगी और फिर हिमा की ट्रेनिंग की शुरू हो गयी |
- ऐसे ही हिमा ने कई टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और इनके प्रदर्शन को देख कर इन्हें पटियाला नेशनल कैंप में दाखिला मिला जो उनके जीवन में एक नया कदम था और उनकी जीत की तरफ आप इसे पहला कदम कह सकते थे |
- हिमा दास ने एक एथलिट के तौर पर हिमा फ़ेडरेशन कप में 400 मीटर में दौड़ी और गोल्ड मैडल जीता और कॉमनवेल्थ गेम के लिए अपना रास्ता सुनिश्चित कर लिया | इतना ही नहीं बल्कि आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 2018 कॉमनवेल्थ गेम में ये छटवे वे स्थान पर अपनी जगह कायम की |
- उसके बाद भी हिमा की रफ़्तार रुकी नहीं और वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में दौड़ कर विजय प्राप्त की और यहाँ पर गोल्ड जीत कर खुद को साबित कर दिया की लड़कियों को किसी सहारे की जरुरत नहीं है |
- हिमा का सपना है कि वे ओलंपिक और कॉमनवेल्थ गेम में इंडिया के लिए गोल्ड जीते और भारत को गर्व महसूस करवाएं |
- हिमा दास ने आईएएएफ वर्ल्ड में अंडर 20 एथलीट चैंपियनशिप में 400 मीटर की रेस 46 सेकेंड में दौड़ कर जीत हासिल की और फिनलेंड के टामपेर में गोल्ड मैडल विजेता रही |
ये हैहोनहार जाबाज़ और समझदार हिमा दास की कहानी |जिसे सुन कर और पढ़ कर शायद लोगों की मासिकता में बदलाव आये की अब बेटियों को किसी के सहारे की जरुरत नहीं है |
हिमा दास हिमा दास (असमिया: হিমা দাস) (जन्म 09 जनवरी 2000) एक भारतीय धावक हैं। वो आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। हिमा ने 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता।
हिमा दास हिमा दास (असमिया: হিমা দাস) (जन्म 09 जनवरी 2000) एक भारतीय धावक हैं। वो आईएएएफ वर्ल्ड अंडर-20 एथलेटिक्स चैम्पियनशिप की 400 मीटर दौड़ स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। हिमा ने 400 मीटर की दौड़ स्पर्धा में 51.46 सेकेंड का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता।