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पर्यावरण प्रदूषण: पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर पर्या +आवरण से मिलकर बना होता है। पर्यावरण के चारों तरफ फैली हुई है प्रदूषण को पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
वायु प्रदूषण : शुद्ध वायु में हानिकारक पदार्थ अथवा विषैली गैस, सूक्ष्मजीव, कार्बन डाइऑक्साइड का मिश्रण वायु प्रदूषण कहलाता है। वायु प्रदूषण एक बहुत विकट परिस्थितियों में से एक है। वायु प्रदूषण के कारण और ओजोन परत को बहुत नुकसान हो रहा है। जिससे सूर से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरण सीधे धरती पर गिर रही है।
जल प्रदूषण : आप जिस तालाब नदी में खुद नहाते ही हैं और वही पर गाड़ी वाहन तथा अपने पालतू जानवरों नहलाते हैं और वही जल को गंदा करते हैं और नहाने का पानी नदी तालाबों में जाता है। और उसी पानी का उपयोग आप खाना बनाने और पीने में करते हैं, जो जल पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है।
ध्वनि प्रदूषण : कारखाना तथा वाहनों के चलने से होने वाले शोर ध्वनि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होता है ध्वनि प्रदूषण से श्रवण शक्ति कम हो शक्ति कम हो तथा मानसिक तनाव उत्पन्न होता है ।
भूमि व मृदाप्रदूषण: जब भूमि के ऊपर खराब पदार्थ डाल दिए जाते हैं तो इसे भूमि प्रदूषण हो जाता है इसे मृदा प्रदूषण भी कहते हैं। घरेलू तथा उद्योग के अपशिष्ट पदार्थ खुले भूभाग पर छोड़ देने से भूमि प्रदूषण व मृदा प्रदूषण हो जाता है।
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पर्यावरण प्रदूषण:- पर्यावरण दो शब्दो से मिलकर पर्या+ आवरण से मिलकर बना होता है। पर्यावरण के चारो तरह फैले हुए प्रदूषण को पर्यावरण प्रदूषण कहते है ।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार :-
1.वायु प्रदुषण :- वायु प्रदुषण वह होता है, जो मोटर, कार, ट्रेन, ट्रैक आदि से निकलने वाला हानिकारक धुआँ वायु मे जाकर वायु को दूषित करता है, वह वायु प्रदूषण कहलाता है ।
2. ध्वनि प्रदूषण :-
किसी कारण से अचनाक उत्पन्न होने वाली शोर को ध्वनि प्रदूषण भी कहते है। जैसे - कही पर सादी होती है तो डीजे बजता है जिस वजह से बहुत तेज ध्वनि उत्पन्न होती है, इसके अलावा दीपवाली त्यौहार पर पटाको जलाने पर बहुत तेज ध्वनि उत्पन्न होती है जो बुजुर्गो के सेहत लिये हानिकारक होती है।
3. भूमि प्रदूषण :- कीटनाशक दवाइयों का उपयोग करके, घरों से निकलने वाला सब्जी, फल के छिलके, हॉस्पिटल से निकलने वाले सूजी बोतल, पालीथीन, तथा बातरूम से निकलने वाला गन्दा पानी, मल मूत्र आदि सब भूमि मे ही जाता है जो भूमि को बुरी तरह से प्रदुषण करता है उसे ही भूमि प्रदुषण कहा जाता है।
4. जल प्रदूषण :- आप जिस तालाब, नदी मे खुद नहाते ही है और वही पर गाड़ी, वाहन तथा अपने पालतू जानवरो को नहलाते है और वही जल को गन्दा करते है । और नहाने का पानी नदी तालाबों मे जाता है और उसी पानी का उपयोग आप खाना बनाने, और पीने मे करते है, जो जल पूरी तरह से प्रदूषित हो चूका होता है ।
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पर्यावरण के किसी भी तत्व में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन, जिसका जीव जगत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, पर्यावरणीय प्रदूषण कहलाता है! प्रदूषण फैलाने वाले तत्व प्रदूषक कहलाते हैं!
समान्यतया पर्यावरण प्रदूषण निम्न प्रकार के हैं, जिन्हें पर्यावरण प्रदूषण के कारक भी कह सकते हैं -
1) वायु प्रदूषण (Air pollution)- जिन तत्वों के मिलने से वायुमंडल प्रदूषित हो जाता है, या वायु की गुणवत्ता को खराब कर देता है उसे वायु प्रदूषण कहते हैं!
2) जल प्रदूषण (water pollution)-जब रसायन या खराब पदार्थ जल में डाल दिए जाते हैं,तो उससे जल प्रदूषण फैलता है!
3) भूमि या मृदा प्रदूषण (Land or soil pollution )- जब भूमि के ऊपर खराब पदार्थ डाल दिए जाते हैं तो इसे भूमि प्रदूषण हो जाता है,इसे मृदा प्रदूषण भी कहते हैं! घरेलू तथा उद्योग के अपशिष्ट पदार्थ खुले भू -भाग पर छोड़ देने से भूमि प्रदूषण व मृदा प्रदूषण हो जाता है!
4) ध्वनि प्रदूषण (noise pollution)- कारखानों तथा वाहनों के चलने से होने वाले शोर ध्वनि प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होता है! ध्वनि प्रदूषण से श्रवण शक्ति कम हो सकती है तथा मानसिक तनाव उत्पन्न होता है!
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