आकाश नीला क्यों दिखाई देता है?
आकाश का नीला रंग सदैव से मानवता को आकर्षित करता रहा है। यह रंग अनंतता और शांति का प्रतीक माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आकाश नीला क्यों दिखाई देता है?
आकाश का रंग नीला दिखाई देने का कारण 'रेले प्रकीर्णन' (Rayleigh scattering) है। जब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो यह वायुमंडल में उपस्थित गैसों और कणों के साथ टकराता है। इस टक्कर के परिणामस्वरूप, प्रकाश की दिशा बदल जाती है, जिसे 'प्रकीर्णन' (scattering) कहा जाता है।
सूर्य का प्रकाश विभिन्न रंगों का मिश्रण होता है, जिनमें नीला, हरा, पीला, नारंगी, लाल आदि शामिल हैं। नीले रंग की तरंग दैर्ध्य अन्य रंगों की तुलना में कम होती है। तरंग दैर्ध्य जितनी कम होती है, प्रकीर्णन उतना ही अधिक होता है। इसलिए, नीला रंग अन्य रंगों की तुलना में अधिक प्रकीर्णित होता है।
जब हम आकाश की ओर देखते हैं, तो हम वायुमंडल में प्रकीर्णित नीले रंग का प्रकाश देखते हैं। यही कारण है कि आकाश नीला दिखाई देता है।
आकाश के रंग को प्रभावित करने वाले अन्य कारक:
- सूर्य की स्थिति: जब सूर्य क्षितिज के करीब होता है, तो प्रकाश को वायुमंडल के अधिक भाग से गुजरना पड़ता है। इस वजह से, नीले रंग का अधिक प्रकीर्णन होता है और आकाश गहरा नीला दिखाई देता है।
- वायुमंडल की शुद्धता: यदि वायुमंडल में धूल, धुआं या अन्य प्रदूषक अधिक मात्रा में मौजूद हैं, तो वे प्रकाश के प्रकीर्णन को प्रभावित करते हैं। इस वजह से, आकाश का रंग कम नीला और अधिक धुंधला दिखाई देता है।
- पृष्ठभूमि का रंग: यदि आप किसी ऐसे स्थान पर हैं जहाँ आसपास हरे-भरे पेड़ या पहाड़ हैं, तो आकाश का रंग थोड़ा हरा या नीला-हरा दिखाई दे सकता है।
निष्कर्ष:
आकाश का रंग नीला दिखाई देने का कारण 'रेले प्रकीर्णन' है। नीले रंग की तरंग दैर्ध्य कम होने के कारण यह अन्य रंगों की तुलना में अधिक प्रकीर्णित होता है। सूर्य की स्थिति, वायुमंडल की शुद्धता और पृष्ठभूमि का रंग भी आकाश के रंग को प्रभावित करते हैं।
