| Posted on | astrology
Social Activist | Posted on
भगवान् शिव तक अपनी मनोकामना पहुंचाने के लिये उसे पहले उनके गणों में सबसे प्रिय नंदी के कान में कहने की प्रथा है। आखिर क्यों हैं नंदी भगवान् शिव को इतने प्रिय! क्यों भगवान् शंकर ने नंदी को इतने विशेषाधिकार प्रदान किये! क्यों उन्हें भगवान् शंकर के बाकी गणों में अग्रणी माना जाता है! इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। जो इन सारे सवालों के ज़वाब देती है।
यह किस्सा कुछ इस तरह है, कि प्राचीन काल में शिलाद नामक एक ऋषि हुये। उनके कोई संतान न थी। पर उनकी घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया, जिससे शिलाद ऋषि के पुत्र के रूप में नंदी का जन्म हुआ।
नंदी अपने पिता शिलाद के सान्निध्य में ही रहकर आश्रम में ज्ञानार्जन करने लगा। एक दिन उनके आश्रम में दो अन्य ऋषियों-- मित्र और वरुण का आगमन हुआ। पिता शिलाद की हिदायतों के मुताबिक बालक नंदी ने दोनों ऋषियों के रुकने तक उनकी प्राणपण से सेवा की। पर चलते समय दोनों ही संतों ने शिलाद को तो दीर्घायु का आशीर्वाद दिया लेकिन नंदी को नहीं। यह देखकर हैरान शिलाद ने जब ऋषियों से इसका कारण जानना चाहा तो पता चला कि नंदी वास्तव में अल्पायु है।
इस घटना के बाद से शिलाद दुखी और परेशान रहने लगे। आखिर एक दिन जब नंदी ने पिता से इसका कारण पूछा तो उसे भी अपने अल्पायु होने की बात पता चली। पर नंदी ने अपने पिता से हंसते हुये कहा कि मुझे आपके पास शंकर भगवान् ने भेजा है, और वही हमारी हर तरह से रक्षा करेंगे, आप नाहक परेशान न हों।
इसके बाद नंदी ने भुवन नदी के किनारे कठिन तपस्या की। जिससे प्रसन्न होकर भगवान् शिव प्रकट हुये और कुछ वरदान मांगने को कहा। नंदी ने जीवन भर भगवान् शिव की शरण और सान्निध्य मांगा। इस पर गदगद होकर भगवान् ने नंदी को अपना सबसे प्रिय गण, वाहन और सखा बना लिया। इसके साथ ही भगवान् शिव ने नंदी को बैल का चेहरा दिया। इसी वज़ह से नंदी की प्रतिमा हर शिवमंदिर पर मौज़ूद मिलती है। नंदी को शिव का द्वारपाल भी कहा जाता है।
इस महत्ता के कारण ही भगवान् शिव तक अपनी मनोकामनायें पहुंचाने के लिये पहले उसे नंदी के कान में कहने की परंपरा है। मान्यता है कि ये नंदी भगवान् ही हमारी को बात आगे शंकर भगवान् तक पहुंचाने का काम करते हैं।
इस प्रकरण से जुड़ी एक पौराणिक कथा यह भी है कि समुद्र-मंथन के दौरान निकले हलाहल विष का पान करते हुये शंकर जी से विष की कुछ बूंदें गिर गईं। जिन्हें बाद में नंदी ने अपनी जीभ से चाटकर साफ कर दिया। इससे प्रसन्न होकर महादेव ने नंदी को अपने गणों में सर्वोच्च पद प्रदान कर दिया। यहां तक कि उन्होंने बिलकुल अपने ही समान दर्ज़ा देते हुये अपनी शक्ति भी नंदी से साझा कर ली। इस तरह नंदी का महत्व शिवजी की उपासना में काफी अहम हो गया। और अब नंदी की पूजा किये बिना शिवपूजा अधूरी ही मानी जाती है। यही कारण है कि जहां-जहां शंकर भगवान् का मंदिर है वहां नंदी की प्रतिमा भी अपरिहार्य रूप से स्थापित है।
0 Comment
| Posted on
अक्सर देखा जाता है कि मंदिरों में जहां शिव की मूर्ति स्थापित होती है वहां नंदी बाबा की भी मूर्ति को स्थापित किया जाता है। कहा जाता है कि नंदी बाबा के कान में बोलने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमें कुछ भी बोलने से पहले उनके कानों में हमको धीरे से बोलना चाहिए कि हमारे बगल से खड़े इंसान को सुनाई ना दे सके। नंदी बाबा के कान में जो मनोकामना मांगते हैं वह नंदी बाबा सीधे शिव भगवान तक पहुंचती है और वह मनोकामना पूर्ण होती है.।
0 Comment
| Posted on
अक्सर यह देखा जाता है कि जिस मंदिर में शिव जी की मूर्ति स्थापित होती है वहां नंदी बाबा की मूर्ति अवश्य स्थापित होती है क्योंकि नंदी बाबा भगवान शिव के परम भक्त है कहा जाता है कि नंदी बाबा के कान में बोलने से हमारी मनोकामना पूरी होती है नंदी बाबा के कान में हमें अपनी बात कहते समय अपने होठों को अपने दोनों हाथों से ढक लेना चाहिए ताकि दूसरा ना सुन पाए हमें कभी भी नंदी के कान में दूसरों की बुराई दूसरे व्यक्ति का बुरा करने की बात नहीं करनी चाहिए!
0 Comment
| Posted on
मान्यता है जहां शिव की मंदिर होती है वहां नंदी की स्थापना अवश्य होती है। क्योंकि नंदी भगवान भगवान शिव के परम भक्त हैं। जब भी कोई व्यक्ति शिव मंदिर में जाता है तो वह नंदी के कान में अपनी मनोकामना अवश्य कहता है। इसलिए नंदी की हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं। इसी मान्यता के चलते सभी लोग अपनी मनोकामना नंदी के कान में कहते हैं।
नंदी बाबा के कान में कहते हुए इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि आपकी कही बात कोई और सुना सके। अपनी बात इतनी धीमी से कहे कि आपके पास खड़ा व्यक्ति भी आपकी बात ना सुने नंदी के कान में अपनी बातों को कहते समय अपने होठों को दोनों हाथ से छुपा ले ताकि आपको बात कहते हुए कोई व्यक्ति देख ना सके। नंदी के कान में कहते वक्त किसी दूसरे व्यक्ति की बुराई ना करें और ना ही उसके बारे में बुरा सोचे। नहीं तो शिव जी के क्रोध का भागी बनना पड़ेगा नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहने से पूर्व उनकी पूजा अवश्य करें। और उन्हें बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं ऐसा करने से नंदी बाबा प्रसन्न हो जाते हैं और आपकी मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं।
0 Comment
Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | Posted on
* अक्सर लोग नंदी बाबा के कान में अपनी मनोकामनाएं और कुछ लोग अपने दुख तकलीफों को कहते हैं ! ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति नंदी बाबा के कान में अपनी सारी मनोकामनाएं कहता है! वह सीधे भगवान शिव तक पहुंचती है और उसकी सारी मनोकामनाएं भगवान शिव जल्द ही पूरा कर देते हैं! नंदी बाबा के कान मे हमें किसी भी इसान के बारे मे गलत नहीं कहना चाहिए!
0 Comment