आम तौर पर व्हीकल की माइलेज के हिसाब से ही तुलना होती है पर यह बात आम कार और बाइक को लागू होती है, हवाईजहाज को नहीं। जितना व्हीकल बड़ा और फ़ास्ट होता है उतना ही वो ईंधन ज्यादा खर्च करता है। इसलिए जब बात आती है हवाईजहाज की तो पर पैसेंजर पर किलोमीटर की गिनती की जाती है।
सौजन्य: डेली हंट
यह गिनती कमर्शियल प्लेन के लिए होती है जब की कार्गो प्लेन की गिनती उसके वहन क्षमता के हिसाब से होती है। सामान्यतः कमर्शियल फ्लाइट्स में बोईंग का इस्तेमाल होता है जिस में भी बहुत सारे मॉडल्स होते है। अगर बात की जाए बोइंग 747 की जो की एक कमर्शियल फ्लाइट्स में इस्तेमाल किया जाता है वो एक मिनट में 240 लीटर ईंधन खर्च करता है। हालांकि अगर पैसेंजर के हिसाब से देखा जाए तो वह काफी किफायती साबित होता है।
इसके अलावा भी काफी बड़े प्लेन आते है जो की बोइंग के मुकाबले ज्यादा ईंधन का इस्तेमाल करते है। फाइटर जेट बोइंग से भी ज्यादा ईंधन खर्चता है क्यूंकि उसके स्पीड ज्यादा होती है और इस के लिए उसके इंजन को और ईंधन चाहिए होता है। जेट प्लेन जो की पर्सनल यूज़ में लिया जाता है वो भी बोइंग के मुकाबले ज्यादा ईंधन खर्च करता है।