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गंधर्व विवाह क्या होता है?

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| Updated on October 25, 2024 | others

गंधर्व विवाह क्या होता है?

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@krishnapatel8792 | Posted on March 10, 2024

चलिए आज हम आपको बताते हैं कि गंधर्व विवाह क्या होता है:-

हमारे हिंदू धर्म में आठ प्रकार के विवाह बताए गए हैं। जिनमें से ब्रह्मा, दैव, आर्ष, प्रागपत्य,गंधर्व को वैदिक परंपरा में मान्यता मिली हुई है।

 यहां पर हम आपको बताने वाले हैं कि गंधर्व विवाह किसे कहते हैं। गंधर्व विवाह में जब लड़का और लड़की  माता-पिता, परिवार के मुखिया के अनुमति के बिना खुद ही साथ रहने का फैसला ले लेते हैं। और आजकल इसे लव मैरिज कह दिया जाता है। वर्णाश्रम व्यवस्था में क्षत्रिय और वैश्य के लिए गंधर्व विवाह वैध माना गया है।इसके अलावा ब्राह्मणों के लिए यह वैध नहीं माना गया है। मैं आपको बता दूं कि जब धन संपत्ति लेकर कन्या को खरीदा जाता है तो उसे आसुर विवाह कहते हैं। और जब कन्या का जबरन अपहरण करके उससे विवाह किया जाता है तो उसे राक्षस विवाह कहते हैं।

 

आइये हम आपको गंधर्व विवाह का ऐतिहासिक महत्व बताते हैं :-

प्राचीन भारत में गंधर्व विवाह को काफी आम माना जाता था। कहा जाता है कि कई हिंदू देवी देवताओं ने गंधर्व शैली में विवाह किया था। मैं आपको उदाहरण के लिए बता दूं कि भगवान शिव ने देवी पार्वती से गंधर्व विवाह किया था।

 

 गंधर्व विवाह योद्धा वर्ग में भी काफी लोकप्रिय थे। अक्सर क्षत्रिय योद्धा दूसरे राज्यों की महिलाओं से गंधर्व विवाह करते थे। इसके वजह से राज्यों के बीच गठबंधन को मजबूत करने में मदद मिलती थी।

 

गंधर्व विवाह की चुनौतियां और विवाद:-

गंधर्व विवाह की सबसे बड़ी चुनौती में से यह है कि इसे समाज के द्वारा अस्वीकार कर दिया जाता है।

 

एक और चुनौती यह है कि गंधर्व विवाह को कानूनी रूप से साबित करना मुश्किल हो जाता है। यदि जोड़ के पास कोई दवा या दस्तावेज नहीं है तो यह साबित करना मुश्किल हो जाता है कि वह कानूनी रूप से विवाहित है।

 

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@komalsolanki9433 | Posted on March 12, 2024

सभी धर्मो में विवाह एक महत्वपूर्ण नींव है। यह एक सामाजिक, सांस्कृतिक कार्य है। विवाह मे स्त्री और पुरुष एक संबंध में बंध कर एक दूसरे के साथ जीवन भर उसके सुख और दुख मे साथ रहने का वचन देते है और उम्र भर एक साथ रहते है। हर माँ बाप का यह सपना होता है के उनके बच्चे जो जिनसे विवाह करे वह अच्छा हो और उसे सुखी रखे। 

 

हिंदू धर्म में आठ प्रकार के विवाह की मान्यता बताई गई है। 

 

1 - पहला विवाह ब्रह्मा विवाह है जिसमे पिता अपनी कन्या के वर का चयन स्वयं करता है और उससे उसका विवाह करता है। 

2 - दूसरा विवाह दैव विवाह है जिसमे कन्या का दान किसी ऋषि अथवा मुनि को किसी वचन के बदले किया जाता था।

3 - तीसरा विवाह आर्ष विवाह इसमे कन्या का दान संपति और व्यवसास के बदले होता है। 

4 - चौथा प्रागप्रत्य विवाह मे कन्या का हाथ वर पक्ष की और से मांगा जाता है और फिर दोनो का विवाह संपन्न होता है। 

5 - गंधर्व विवाह पांचवे स्थान पर आता है इसे आज के समय मे लव मैरिज भी कह सकते है । इसमे लड़का लड़की दोनो अपनी खुद की सहमति से विवाह का फैसला लेते है और माता पिता की अनुमति ना लेते हुए गठबंधन करते है। 


देवारीदेव महादेव का विवाह माता पार्वती के साथ गंधर्व विवाह की ही श्रेणि मे आता है। 

सतयुग मे इस विवाह का प्रचलन अधिक था। 

 

6 - कन्या की इच्छा के विरुध उसका अगवा कर विवाह करना राक्षस विवाह के अंतर्गत आता है। 

7 - इसी तरह पैशास विवाह भी कन्या की अनुमति के बिना किया जाने वाला होता है। 

8- कन्या को धन संपति, पैसा देकर खरीदना आसुर विवाह की श्रेणि मे आता है। 

 

विवाह के द्वारा समाज की नींव का निर्माण होता है। जितना स्त्री  और पुरुष दोनो की सहमति से विवाह होना आवश्यक है उतना ही विवाह के लिए स्त्री और पुरुष के माता पिता की अनुमति होना भी आवश्यक होता है। 

 

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@abhishekgaur6728 | Posted on October 25, 2024

परिचय

गंधर्व विवाह एक अनोखा और दिलचस्प विवाह का रूप है जो मुख्य रूप से प्रेम और सहमति पर आधारित होता है। यह पारंपरिक विवाहित जीवन के मुकाबले एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है, जहाँ परिवार या पंडित की कोई भूमिका नहीं होती। इस लेख में, हम गंधर्व विवाह की परिभाषा, ऐतिहासिक महत्व, प्रक्रिया, लाभ और चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।

 

गंधर्व विवाह की परिभाषा

गंधर्व विवाह को एक ऐसे विवाह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो केवल दूल्हा और दुल्हन के बीच सहमति से संपन्न होता है। इसमें कोई धार्मिक अनुष्ठान या परिवार की भागीदारी नहीं होती। यह विवाह प्रेमियों के बीच एक स्वाभाविक संबंध को मान्यता देता है और इसे भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गंधर्व विवाह का नाम संस्कृत के 'गंधर्व' शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है 'प्रेमी' या 'प्रेमिका'।

 

गंधर्व विवाह का ऐतिहासिक महत्व

गंधर्व विवाह का इतिहास प्राचीन भारत में बहुत पुराना है। यह विवाह का प्रकार उन समयों में प्रचलित था जब प्रेम और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को अधिक महत्व दिया जाता था। हिंदू पौराणिक कथाओं में, कई उदाहरण मिलते हैं जहाँ देवताओं और नायकों ने गंधर्व विवाह किया। जैसे कि भगवान कृष्ण और राधा का प्रेम, जो इस प्रकार के विवाह का प्रतीक माना जाता है। इस प्रकार के विवाह ने उस समय की सामाजिक संरचना को चुनौती दी थी, जहाँ परिवारों द्वारा निर्धारित विवाहों का प्रचलन था।

 

गंधर्व विवाह के प्रकार

गंधर्व विवाह के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:

  1. प्रेम विवाह: यह सबसे सामान्य प्रकार है जहाँ दूल्हा और दुल्हन अपने प्रेम के आधार पर शादी करते हैं।
  2. कुलीन गंधर्व विवाह: इस प्रकार में, दूल्हा और दुल्हन दोनों ही उच्च जाति से होते हैं और समाज में उनकी स्थिति को ध्यान में रखा जाता है।
  3. सामाजिक चुनौतियों वाला गंधर्व विवाह: इसमें ऐसे प्रेमी शामिल होते हैं जिनकी जाति या सामाजिक स्थिति अलग होती है, और उन्हें समाज द्वारा स्वीकृति नहीं मिलती।

 

गंधर्व विवाह की प्रक्रिया और रीति-रिवाज

गंधर्व विवाह की प्रक्रिया सरल होती है। इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  1. सहमति: सबसे पहले, दूल्हा और दुल्हन को एक-दूसरे के प्रति अपनी भावनाओं को स्पष्ट करना होता है।
  2. विवाह का निर्णय: यदि दोनों पक्ष सहमत होते हैं, तो वे बिना किसी औपचारिकता के शादी करने का निर्णय लेते हैं।
  3. विवाह समारोह: इस प्रकार के विवाह में कोई बड़ा समारोह नहीं होता; केवल एक साधारण मिलन या पूजा हो सकती है।
  4. जीवनसाथी बनना: इसके बाद, दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को जीवनसाथी मानकर एक साथ रहने लगते हैं।

 

समकालीन परिवर्तनों का प्रभाव

समय के साथ-साथ गंधर्व विवाह की धारणा में भी बदलाव आया है। आजकल, युवा पीढ़ी इस प्रकार के विवाह को अधिक स्वीकार कर रही है। तकनीकी प्रगति और सामाजिक बदलावों ने इसे आसान बना दिया है। आजकल कई लोग अपने साथी को चुनने में स्वतंत्रता महसूस करते हैं और परिवारों की अपेक्षाओं से बाहर जाकर अपने रिश्ते को जीना पसंद करते हैं।इसके अलावा, कुछ देशों में गंधर्व विवाह को कानूनी मान्यता भी प्राप्त हो गई है, जिससे यह वैधता प्राप्त कर रहा है। हालांकि, अभी भी कई जगहों पर इसे लेकर पूर्वाग्रह मौजूद हैं।

 

गंधर्व विवाह के लाभ और चुनौतियाँ

लाभ:

  1. स्वतंत्रता: गंधर्व विवाह दूल्हा-दुल्हन को अपनी पसंद से जीवनसाथी चुनने की स्वतंत्रता देता है।
  2. कम खर्च: पारंपरिक शादियों की तुलना में गंधर्व विवाह कम खर्चीला होता है क्योंकि इसमें बड़े समारोहों की आवश्यकता नहीं होती।
  3. सच्चे प्रेम का सम्मान: यह प्रेम पर आधारित शादी होने के कारण सच्चे भावनाओं का सम्मान करता है।

 

चुनौतियाँ:

  1. सामाजिक स्वीकृति: कई बार समाज द्वारा इसे स्वीकार नहीं किया जाता, जिससे दूल्हा-दुल्हन को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है।
  2. परिवारों का विरोध: परिवार अक्सर इस तरह की शादियों का विरोध करते हैं, जो कि रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है।
  3. कानूनी मुद्दे: कुछ स्थानों पर गंधर्व विवाह को कानूनी मान्यता नहीं मिलती, जिससे भविष्य में समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

 

गंधर्व विवाह का कानूनी पहलू

गंधर्व विवाह का कानूनी पहलू भी महत्वपूर्ण होता जा रहा है। कई देशों में इसे कानूनी मान्यता प्राप्त हो चुकी है। भारत में भी कुछ राज्यों ने इसे मान्यता दी है, लेकिन इसके लिए कुछ प्रक्रियाएँ पूरी करनी पड़ती हैं।यदि कोई जोड़ा गंधर्व विवाह करने का निर्णय लेता है, तो उन्हें अपनी शादी को रजिस्टर कराने की प्रक्रिया समझनी चाहिए। इसके लिए आवश्यक दस्तावेज़ जैसे पहचान पत्र, जन्म प्रमाणपत्र आदि जमा करने होते हैं।इस प्रक्रिया से न केवल उन्हें कानूनी सुरक्षा मिलती है बल्कि यह उनके रिश्ते को समाज में भी एक स्थायी पहचान प्रदान करता है।

 

निष्कर्ष

गंधर्व विवाह एक आधुनिक yet पारंपरिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जो कि प्रेम और सहमति को प्राथमिकता देता है। यह न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता का प्रतीक है बल्कि यह उन लोगों के लिए भी एक विकल्प प्रदान करता है जो पारंपरिक सामाजिक ढांचे से बाहर जाकर अपने जीवनसाथी चुनना चाहते हैं।हालांकि इसके साथ कुछ चुनौतियाँ भी जुड़ी हुई हैं, लेकिन सही समझदारी और समर्थन से इनका सामना किया जा सकता है। अंततः, गंधर्व विवाह उन लोगों के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान करता है जो सच्चे प्रेम को महत्व देते हैं और अपने जीवन को अपनी शर्तों पर जीना चाहते हैं।

 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. क्या गंधर्व विवाह कानूनी रूप से मान्य होता है?

हाँ, कई देशों में इसे कानूनी मान्यता प्राप्त हो चुकी है, लेकिन भारत में इसकी स्थिति राज्य अनुसार भिन्न हो सकती है।

 

2. क्या गंधर्व विवाह में परिवार की सहमति आवश्यक होती है?

गंधर्व विवाह मूल रूप से प्रेम और सहमति पर आधारित होता है, इसलिए परिवार की सहमति आवश्यक नहीं होती, लेकिन सामाजिक स्वीकृति महत्वपूर्ण हो सकती है।

 

3. क्या गंधर्व विवाह करने वाले जोड़े को रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होता है?

हाँ, यदि आप कानूनी सुरक्षा चाहते हैं तो आपको अपने गंधर्व विवाह को रजिस्टर कराना चाहिए।

 

4. क्या गंधर्व विवाहित जोड़े को समाज में स्वीकार किया जाता है?

यह समाज और संस्कृति पर निर्भर करता है; कई जगहों पर इसे स्वीकार किया जाता है जबकि अन्य जगहों पर इससे पूर्वाग्रह हो सकते हैं।

 

5. क्या गंधर्व विवाहित जोड़े को किसी विशेष पूजा या अनुष्ठान की आवश्यकता होती है?

गंधर्व विवाहित जोड़े को किसी विशेष पूजा या अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती; यह केवल उनके बीच सहमति पर निर्भर करता है।

 

इस प्रकार, गंधर्व विवाह एक ऐसा विकल्प प्रस्तुत करता है जो न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रता बल्कि सच्चे प्रेम का सम्मान करता है।

 

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