हिंदुत्व शब्द हिंदू से बना है। हिंदू एक धर्म ही नहीं जीवन की सच्चाइयों से संबंधित एक विचार भी है। इस विचार में विश्वास करना और उसी अनुसार अपनी जीवन-शैली ढालने की कोशिश करना ही हिंदुत्व कहा जा सकता है। जिसे सदियों से तमाम ऋषियों-मुनियों ने अपनी उच्चतर चेतना से पोषित किया है।
हिंदुत्व एक जीवन-शैली है। जो हिंदू धर्म और दर्शन पर आधारित है। इस दर्शन पर आधारित सिद्धांतों और स्थापनाओं को श्रद्धा के भाव से देखना ही हिंदुत्व है। हिंदू धर्म के अंतर्गत छ: दर्शन हैं। चार वेद, अठ्ठारह पुराण और छः शास्त्र हैं। वेदों के एक हिस्से को उपनिषद कहते हैं। जो अपने आपमें ज्ञान का भंडार हैं।
इसके अलावा और भी तमाम स्मृति ग्रंथ हैं। जबकि सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक पुस्तक है-- गीता। इन सबमें ज्ञान और मानव जीवन को लेकर जो सिद्धांत प्रतिपादित किये गये हैं उन्हें श्रद्धा के नज़रिये से देखना ही हिंदू धर्म में आस्था रखना यानी कि हिंदुत्व है।
केवल माथे पर टीका लगा लेना या तंत्र-मंत्र के आगे समर्पण या फिर तमाम दूसरे पोंगापंथी कर्मकाण्ड करना ही हिंदुत्व नहीं है। यह उससे कहीं गहरी बात है। हालांकि यह जरूर है कि हजारों साल के इतिहास में हिंदू परंपराओं में कुछ बातें समय के साथ अब अप्रासंगिक हो चुकी हैं। वहीं धर्म की देशनाओं की गलत व्याख्या के चलते कुछ अवांछित बातें भी आ गईं हैं।

पर हिंदुत्व हमें किसी दायरे में बांधने की कोशिश कभी नहीं करता। यह मानव मात्र को उसकी पूरी स्वतंत्रता और गरिमा से देखने वाला दर्शन है। यह हर व्यक्ति में परमात्मा की छाया अनुभव करने वाला विचार है। यह वसुधैव-कुटुंबकम् यानी सारे संसार को अपना परिवार मानने वाली सोच है। कुल मिलाकर हिंदुत्व एक आदर्श जीवन दर्शन है। जो आर्य-सभ्यता के साथ-साथ विकसित हुआ।
हालांकि आज हिंदुत्व के राजनैतिक मायने ही सबसे अहम् हो गये हैं। सनद रहे कि हिंदुत्व शब्द का आधुनिक इतिहास में सबसे पहले प्रयोग 1892 में चंद्रनाथ बसु द्वारा किया गया। फिर आगे के दशकों में विनायक दामोदर सावरकर ने इस 'विज़न' को आगे बढ़ाते हुये इसे पूरी तरह एक राजनैतिक रंग दे दिया। हिंदू-राष्ट्र का विचार पैदा हुआ। इस रंग का असर आज भी देश की राजनीति में साफ देखा जा सकता है।
पर राजनीति की अपनी अलग धारा होती है। उससे हिंदुत्व के मायने नहीं बदल जाते। हिंदुत्व का एक ही मतलब है। कि सनातन हिंदू धर्म-दर्शन के सिद्धांतों और स्थापनाओं को श्रद्धाभाव के साथ देखना और उन्हें अपनी जीवन-शैली में अंगीकार करना।
