ऋषि विश्रवा के पुत्र कुबेर को धन के देवता कहा जाता है। रानी कैकसी ने ऋषि विश्रवा को पति के रूप मे चुना उस समय कुबेर बहुत छोटे थे। कैकसी और ऋषि विश्रवा के विवाह के पश्चात रावण, कुंभकरण ,विभीषण और बहन शुर्पणखा का जन्म हुआ। कुबेर ने बृह्मा जी की कठोर तपस्या की थी जिससे प्रसन्न होकर बृह्मा जी ने कुबेर को धन के देवता होने का और उत्तर दिशा मे हमेशा उनका स्वामित्व रहेगा ऐसा वरदान दिया था।
ऋषि विश्रवा ने अपने पुत्री कुबेर को सोने की लंका और पुष्पक विमान भेंट स्वरूप दी थी । लेकिन रावण ने अपने पिता से लंका मांगी तो पिता ने मोह मे आकर लंका रावण को दे दी और पुष्पक विमान कुबेर के पास ही रहने दिया।
एक बार रावण ने विश्व विजय करने का निश्चय किया क्योकि उसे बृह्मा जी से वरदान प्राप्त था। उसने तीनो लोगो पर आक्रमण किया और जीत भी गया। लंका से निकाल जाने के बाद कुबेर अलकापूरी मे निवास करने लगे थे। रावण ने वहा भी आक्रमण किया और अलकापूरी से जीत के रूप में पुष्पक विमान ले गया।
कुबेर को यक्षो का राजा भी माना जाता हैं। धन प्राप्ति के लिए सभी लोग कुबेर भगवान और माता लक्ष्मी का पूजन करते है। धनतेरस पर भगवान कुबेर का पूजन किया जाता है और धन प्राप्ति की कामना की जाती हैं।
भगवान कुबेर की सवारी नेवला और देसी सुअर माने जाते है।
माता पार्वती को बुरी दृष्टि से देखने की वजह से माता पार्वती के क्रोध ने कुबेर की एक आँख को नष्ट कर दिया था। जिसकी वजह से इन्हे एक आँख वाला पिंगली कहा जाता है।
कुबेर धन, सम्पदा के स्वामी है और वट वृक्ष पर निवास करते है। भगवान कुबेर को प्रसन्न करने व इनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए महामृत्युंजय का जाप 10000 बार करना चाहिए।
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