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shweta rajput

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सामवेद में क्या बताया गया है


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blogger | Posted on


#तृतीय_सामवेद

रचना काल
७००० - १५०० ईसा पूर्व

सामवेद भारत के प्राचीनतम ग्रंथ वेदों में से एक है, गीत-संगीत प्रधान है। प्राचीन आर्यों द्वारा साम-गान किया जाता था। सामवेद चारों वेदों में आकार की दृष्टि से सबसे छोटा है और इसके १८७५ मन्त्रों में से ६९ को छोड़ कर सभी ऋगवेद के हैं। केवल १७ मन्त्र अथर्ववेद और यजुर्वेद के पाये जाते हैं। फ़िर भी इसकी प्रतिष्ठा सर्वाधिक है, जिसका एक कारण गीता में कृष्ण द्वारा वेदानां सामवेदोऽस्मि कहना भी है।

सामवेद यद्यपि छोटा है परन्तु एक तरह से यह सभी वेदों का सार रूप है और सभी वेदों के चुने हुए अंश इसमें शामिल किये गये है। सामवेद संहिता में जो १८७५ मन्त्र हैं, उनमें से १५०४ मन्त्र ऋग्वेद के ही हैं। सामवेद संहिता के दो भाग हैं, आर्चिक और गान। पुराणों में जो विवरण मिलता है उससे सामवेद की एक सहस्त्र शाखाओं के होने की जानकारी मिलती है।

वर्तमान में प्रपंच ह्रदय, दिव्यावदान, चरणव्युह तथा जैमिनि गृहसूत्र को देखने पर १३ शाखाओं का पता चलता है। इन तेरह में से तीन आचार्यों की शाखाएँ मिलती हैं- (१) कौमुथीय, (२) राणायनीय और (३) जैमिनीय।

Letsdiskuss (image source : google)

सामवेद का महत्व इसी से पता चलता है कि गीता में कहा गया है कि -वेदानां सामवेदोऽस्मि।महाभारत में गीता के अतिरिक्त अनुशासन पर्व में भी सामवेद की महत्ता को दर्शाया गया है- सामवेदश्च वेदानां यजुषां शतरुद्रीयम्।अग्नि पुराण के अनुसार सामवेद के विभिन्न मंत्रों के विधिवत जप आदि से रोग व्याधियों से मुक्त हुआ जा सकता है एवं बचा जा सकता है, तथा कामनाओं की सिद्धि हो सकती है।

सामवेद ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग की त्रिवेणी है। ऋषियों ने विशिष्ट मंत्रों का संकलन करके गायन की पद्धति विकसित की। अधुनिक विद्वान् भी इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं कि समस्त स्वर, ताल, लय, छंद, गति, मन्त्र, स्वर-चिकित्सा, राग नृत्य मुद्रा, भाव आदि सामवेद से ही निकलते है

ॐ नमों भगवते वासुदेवाय

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क्या आप जानते हैं सामवेद में क्या बताया गया है नहीं जानते होंगे तो आज मैं इस आर्टिकल में आपको बताती है उनके सामवेद ने क्या बताया गया है-

सामवेद भारत के प्राचीनतम ग्रंथ में से एक है। गीत संगीत प्रधान एक प्राचीन आर्य द्वारा साम गान किया जाता है सामवेद चारों वेदों में आकार की दृष्टि से सबसे छोटा है सांभर यद्यपि छोटा है परंतु एक तरह से यह सभी वेदों का सार रूप है और सभी वेदों के चुने हुए इसमें शामिल किए गए हैं।Letsdiskuss


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Preetipatelpreetipatel1050@gmail.com | Posted on


हमारे हिंदी महाकाव्य के अनुसार वेदों की रचना भगवान ब्रह्मा ने की थी। यह वेद चार प्रकार के होते हैं।(1) ऋग्वेद (2) सामवेद(3) आयुर्वेद(4) अर्थ वेद।

सामवेद:- सामवेद वह वेद ग्रंथ है जिसके सभी मंत्र व्यक्ति के द्वारा गाए जा सकतेेे है और जो संगीतमय हों। यह सामवेद ग्रंथ यज्ञ, अनुष्ठान और हवन के समय गाए जातेेे है।। इसका सामवेद नाम इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें गायक पद्धति के निश्चित मंत्र ही होते हैं। यह वेेेद ग्रंथ यज्ञानुष्ठान के उद्गातृवर्ग के उपयोगी मन्त्रों का संकलन होता हैLetsdiskuss


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