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ज्यादातर लोग होटल और मोटेल को लेकर कंफ्यूज होते है। वैसे अगर भारत के सन्दर्भ में देखा जाए तो मोटेल जैसी कोई चीज होती ही नहीं है पर अगर अन्य देशो के हिसाब से देखा जाए तो यह एक बहुत ही बड़ी इंडस्ट्री भी है। होटल और मोटेल के बिच का डिफरेंस समज ने के लिए पहले जानना पडेगा की होटल किसे कहते है और मोटेल क्या है।
सौजन्य: विंडोज सोशल
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होटल वो जगह होती है जहां आपको रहने के लिए कमरा, खाने के लिए खाना और बाक़ी की सुविधाएं औकातानुसार मिलती हैं. औकात होटल की आपकी नहीं. होटल का पहला काम पराए शहर में मुसाफिर को रिहाइश उपलब्ध कराना है. यहां आपको रहने-खाने के अलावा टीवी, फ्रिज, वाईफाई जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं. हालांकि हर जगह ये ज़रूरी नहीं. कुछ सस्ते होटल इन सुविधाओं के बगैर भी होते हैं. रूम सर्विस का सिस्टम आपको अपने कमरे में ही तमाम चीज़ें मयस्सर कराता है. खाना होटल की पर्सनल किचन से परोसा जाता है. कुछ बड़े होटलों का अपना पर्सनल रेस्टोरेंट भी होता है.
मोटल
मोटल, होटल का छोटा भाई है. ये शब्द मोटर और होटल से मिलके बना है. मोटल का सिस्टम मुख्यतः हाइवे पर होता है. इनका काम उन मुसाफिरों को रात रुकने का जरिया उपलब्ध कराना है जो लंबे सफ़र पर निकले हैं और रात में ड्राइव करना नहीं चाहते. ज़्यादातर मोटल सड़क के किनारे होते हैं, जहां कमरे के साथ ही ओपन पार्किंग स्पेस भी होता है. मोटल में होटल जैसी तमाम सुविधाएं अक्सर नहीं होती है. हां, कई मोटल खाना उपलब्ध करा देते हैं लेकिन ये ज़रूरी नहीं.
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होटल और मोटल मे अंतर :
- होटल में पार्किंग की व्यवस्था होटल के अंदर ही होती है लेकिन मोटल में पार्किंग की व्यवस्था होटल में रुकने वाले व्यक्ति के रूम के बाहर दी जाती है।
- होटल में एक मुख्य द्वार होता है जिससे सभी होटल के अंदर जाते हैं जबकि मोटल में सभी कमरों का दरवाजा रोड पर ही खुलता है।
- होटल शहर के बीचोबीच होता है जबकि मोटल अधिकतर हाईवे के किनारे बनाए जाते हैं।
- होटल में अधिकतर पर्यटक रुकते हैं जबकि मोटल में अधिकतर मुसाफिर जो दूर का सफर तय रहे होते हैं।
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